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हाईकोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है सरकार ने निजी अस्पतालों को लूट की खुली छूट दे दी है

निजी अस्पतालों में अधिकतम रेट तय करने पर राज्य सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने बुधवार को तल्ख टिप्पणी करते कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के अधिकतम रेट को लेकर राज्य सरकार न तो अपने आदेश का क्रियान्वयन करा पा रही है, न ही 19 अप्रैल को कोर्ट द्वारा जारी आदेश का पालन करा रही है। ऐसा लगता है सरकार ने निजी अस्पतालों को लूट की खुली छूट दे दी है। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के अधिकतम रेट निर्धारित करने पर कोर्ट मित्र के साथ विचार कर जवाब पेश किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 24 मई को निर्धारित की गई है। कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि राज्य सरकार ने 4 सितंबर 2020 को आदेश जारी किया था कि निजी अस्पताल कोरोना के इलाज के लिए 29 फरवरी 2020 के शेड्यूल रेट से 40 प्रतिशत अधिक चार्ज ले सकेंगे। हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल 2021 को आदेश जारी किया था कि यदि कोरोना के इलाज को लेकर निजी अस्पतालों में रेट निर्धारित नहीं हैं तो राज्य सरकार इलाज के रेट निर्धारित करे। श्री नागरथ ने बताया कि 29 फरवरी 2020 के पहले निजी अस्पतालों के रेट निर्धारित ही नहीं किए गए थे, फिर किस आधार पर निजी अस्पतालों ने वेबसाइट पर रेट अपलोड कर दिए हैं। यही वजह है कि निजी अस्पतालों के कोरोना मरीजों से मनमाने रेट वसूले जा रहे हैं।
निजी अस्पताल वसूल रहे रेमडेसिविर के अधिकतम रेट
अधिवक्ता अजय गुप्ता ने डिवीजन बैंच को बताया कि प्रशासन द्वारा निजी अस्पतालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन 1300 से 1400 रुपए में दिए जा रहे हैं। निजी अस्पताल मरीजों से रेमडेसिविर इंजेक्शन के अधिकतम रेट 4500 से 5000 रुपए तक वसूल कर रहे हैं। डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को इस पर हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है।
जब्त रेमडेसिविर जरूरतमंद मरीजों को दिए जाएँ
डिवीजन बैंच ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में जब्त किए गए रेमडेसिविर जरूरतमंद मरीजों को दिए जाएँ। इसके लिए संबंधित सीएमएचओ असली रेमडेसिविर की पहचान कर कोर्ट में आवेदन देंगे। सीएमएचओ के आवेदन पर विचार जाँच के उपरांत कोर्ट अपना निर्णय देगा।
दो निजी अस्पतालों को अधिग्रहित करने पर माँगा जवाब
सुनवाई के दौरान डिवीजन बैंच को बताया कि जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल और सिटी अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज पर रोक लगा दी गई है। इन दोनों अस्पतालों को राज्य सरकार द्वारा कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अधिग्रहित किया जा सकता है। इस पर डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार को जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
वेंटिलेटर्स की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
कोर्ट मित्र ने पिछली सुनवाई के दौरान आवेदन दायर कर कहा था कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 100 से अधिक वेंटिलेटर्स खराब पड़े हुए हैं। डिवीजन बैंच ने सरकार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में चालू और खराब वेंटिलेटर्स की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
महाधिवक्ता ने कहा- निजी अस्पतालों के रेट निर्धारित करने में व्यावहारिक दिक्कतें
महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने कहा कि हर अस्पताल की क्वॉलिटी ऑफ सर्विस, संसाधन और अलग-अलग खर्च होते है। ऐसे में निजी अस्पतालों में रेट का निर्धारण करने में व्यावहारिक दिक्कतें आ रही हैं। इस पर डिवीजन बैंच ने कोर्ट मित्र से कहा कि क्या निजी अस्पतालों की श्रेणियाँ निर्धारित कर रेट तय किए जा सकते हैं या नहीं। राज्य सरकार को भी कोर्ट मित्र से विचार कर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे और नर्सिंग होम एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित उपस्थित थे।
Created On :   20 May 2021 2:45 PM IST