विश्वविद्यालय प्राधिकरण सदस्यों पर हाईकोर्ट ने कहा-मनमर्जी से नहीं हटा सकते

The High Court said on the members of the university authority - cannot be removed at will
विश्वविद्यालय प्राधिकरण सदस्यों पर हाईकोर्ट ने कहा-मनमर्जी से नहीं हटा सकते
विश्वविद्यालय प्राधिकरण सदस्यों पर हाईकोर्ट ने कहा-मनमर्जी से नहीं हटा सकते

डिजिटल  डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया आदेश में स्पष्ट किया है कि राज्य विश्वविद्यालय के प्राधिकरण पर राज्य सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों को सरकार बगैर किसी ठोस कारण मनमर्जी से नहीं हटा सकती। हालांकि नियम के अनुसार, राज्य सरकार अपनी मर्जी से प्राधिकरण सदस्यों का नामांकन कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि सरकार मनमर्जी और विवेकहीन तरीके से सदस्यों को हटा सकती है।

यह है पूरा मामला : नागपुर स्थित महाराष्ट्र पशु व मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय के एक्सक्यूटिव काउंसिल सदस्य सुहास सरोते की याचिका पर नागपुर खंडपीठ ने यह आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने इस फैसले में कहा कि सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति और निष्कासन पर सर्वोच्च न्यायालय पहले ही अपना मत स्पष्ट कर चुका है।

सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, किसी सदस्य को प्राधिकरण में नियुक्त करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सरकार को मनमानी करने का लाइसेंस मिल गया है। यदि वह किसी मनोनीत सदस्य को प्राधिकरण से हटाना चाहती है, तो इसके लिए उसके पास ठोस कारण होना चाहिए। सरकार बगैर सदस्य को नोटिस या पूर्व सूचना दिए बगैर भी निष्कासित करती है, तो भी उसके पास पुख्ता रिकॉर्ड होना चाहिए। ताकि कोर्ट में वह अपनी कार्रवाई को सही साबित कर सके। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का कार्यकाल समाप्त करने का आदेश रद्द दिया।
 

Created On :   21 Jun 2021 9:54 AM IST

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