‘फुटाला’ से गायब होते पानी की ‘सिंचाई’ विभाग करेगा जांच

The Irrigation department will investigate the disappearing water from Futala
‘फुटाला’ से गायब होते पानी की ‘सिंचाई’ विभाग करेगा जांच
‘फुटाला’ से गायब होते पानी की ‘सिंचाई’ विभाग करेगा जांच

डिजिटल डेस्क, नागपुर । फुटाला तालाब को शहर की शान बताकर उसका अपने हितों में इस्तेमाल करने वाले सरकारी विभाग अब जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं। प्रत्येक विभाग अपने कार्यक्षेत्र की सीमा रेखाएं खिंचकर पाला झाड़ने की कोशिश में है। सभी यह कोशिश में है कि किसी तरह दूसरी संस्थान पर इसका ठीकरा फोड़कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हुआ जाए। फिलहाल मनपा ने इस संबंध में सिंचाई विभाग से जांच करवाकर आगे कार्यवाही करने का भरोसा दिया है। मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. ने कहा कि सिंचाई विभाग से इसकी संपूर्ण जानकारी लेकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। सिंचाई विभाग से जो भी जानकारी मिलेगी, उस मुताबिक संंबंधित विभाग से संपर्क कर काम करवाया जाएगा। 

जिम्मेदारी किसकी, अब तक तय नहीं
जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे ने इस बारे में विस्तार से जानकारी लेकर आगे बढ़ने का आश्वासन दिया। नासुप्र की अधीक्षक अभियंता लीना उपाध्ये ने कहा कि तालाब पीडब्ल्यूडी की मलकियत है। ऐसे में हम उस दिशा में कोई काम नहीं कर सकते। फिलहाल हम फुटाला परिसर में म्यूजिकल फाउंडेशन पर काम कर रहे हैं। वहां नासुप्र का पैसा लगा है, जबकि एनएमआरडीए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। हालांकि अभी भी कोई स्पष्ट नहीं कर पाया कि तालाब के पानी और जर्जर होती हालात का जिम्मेदार कौन है। जिससे ऐतिहासिक कहे जाने वाले इस तालाब पर सरकारी उदासीनता के चलते वह अपनी पहचान खोने की कगार पर पहुंचता दिख रहा है।

क्या है मामला
पिछले कुछ दिनों में फुटाला तालाब से करीब 2 फीट पानी गायब होने का खुलासा हुआ है। इसके निशान दीवारों पर साफ दिखाई पड़ते हैं। इसके पीछे विविध तर्क और कारण सामने आ रहे हैं। कोई तालाब का पानी सीवरेज लाइन से जुड़ने का दावा कर रहा है तो कोई तालाब की दीवारें लीकेज होने से पानी कम होने का।  लेकिन इस गंभीर विषय पर सरकारी विभाग गंभीर होने को तैयार नहीं है। जिससे मामला उलझ गया है। सभी इस विषय को अपने कार्यक्षेत्र से बाहर बताकर शहर की मूल्यवान धरोहर को मझधार में छोड़ रहे हैं।

क्या है मामला
पिछले कुछ दिनों में फुटाला तालाब से करीब 2 फीट पानी गायब होने का खुलासा हुआ है। इसके निशान दीवारों पर साफ दिखाई पड़ते हैं। इसके पीछे विविध तर्क और कारण सामने आ रहे हैं। कोई तालाब का पानी सीवरेज लाइन से जुड़ने का दावा कर रहा है तो कोई तालाब की दीवारें लीकेज होने से पानी कम होने का।  लेकिन इस गंभीर विषय पर सरकारी विभाग गंभीर होने को तैयार नहीं है। जिससे मामला उलझ गया है। सभी इस विषय को अपने कार्यक्षेत्र से बाहर बताकर शहर की मूल्यवान धरोहर को मझधार में छोड़ रहे हैं।

 

Created On :   10 Feb 2021 2:06 PM IST

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