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कोर्ट से विश्वासघात करने वाला वकील अब खुद कटघरे में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सत्र न्यायालय से धोखाधड़ी कर जमानत प्राप्त करने वाले एक हत्या आरोपी और उसके वकील पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने संज्ञान लिया है। न्या.रोहित देव की खंडपीठ ने न केवल आरोपी की याचिका 50 हजार रुपए कॉस्ट के साथ खारिज की, बल्कि सत्र न्यायालय में उसका साथ देेने वाले वकील को भी कोर्ट से विश्वासघात का दोषी करार दिया है। इस मामले में अपनी चालाकी पकड़े जाने पर संबंधित वकील ने कोर्ट मे अपनी गलती स्वीकारते हुए बिना शर्त माफी मांग ली है। हाईकोर्ट ने भी उसे भविष्य में ऐसी हरकत न दोहराने की चेतावनी के साथ माफ किया है।
यह था मामला : शांति नगर निवासी शुभम सोनी पर शहर के कलमना पुलिस में भादवि 302, 307, 326, व अन्य के तहत एफआईआर दर्ज है। इसके पूर्व भी उस पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस मामले में आरोपी ने वर्ष 2020 जमानत के लिए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस.एस.देशपांडे के कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की थी। सत्र न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इस निरीक्षण के साथ जमानत अर्जी खारिज कर दी कि आरोपी एक शातिर बदमाश है, जिसके खिलाफ उक्त प्रकरण में ठोस सबूत है। यदि उसे जमानत दी जाती है तो वह गवाहों पर दबाव डाल कर जांच प्रक्रिया में खलल डाल सकता है।
नए जज के सामने ले गए मामला : सत्र न्यायालय द्वारा जमानत अर्जी खारिज करने के बाद सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत न्यायाधीशों के असाइनमेंट बदले गए। जमानत का असाइनमेंट एक अन्य जज को सौंपा गया। आरोपी के वकील ने इसका फायदा उठाने के विचार से नए जज सत्र न्यायाधीश के समक्ष दोबारा जमानत अर्जी दायर की। नए न्यायाधीश से यह बात छिपाई गई कि अभी दो दिन पूर्व ही आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की गई है। संबंधित सरकारी वकील भी इस पर चुप रहा। नई सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को जमानत दे दी। इसके बाद फरियादी के आपत्ति लेने पर राज्य सरकार ने इस जमानत को दोबारा चुनौती दी, इस बार सत्र न्यायालय को पूरा मामला पता चला और आरोपी की जमानत खारिज की गई। लेकिन तब से आरोपी फरार है। 14 जून को हाईकोर्ट ने आरोपी को 24 घंटे में समर्पण के आदेश दिए, तब जाकर आरोपी ने समर्पण किया। आरोपी ने जमानत खारिज करने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर हाईकोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया।
वकील की गलत मंशा सिद्ध : इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय की इस घटना को ठीक से समझने पर साफ होता है कि आरोपी के वकील ने चालाकी और गलत मंशा के साथ यह हरकत की है। इस मामले में संबंधित सरकारी वकील की चुप्पी भी संदेहास्पद है। यहां तक कि संबंधित सत्र न्यायाधीश भी कोर्ट के साथ होने वाली इस धोखाधड़ी को भांप नहीं सके। इस पूरी घटना से न्यायदान प्रक्रिया की प्रतिष्ठा काे भारी क्षति पहुंची है।
Created On :   19 July 2021 11:46 AM IST