यूनिवर्सिटी के दो सेमिस्टर हो चुके अब बचे दो सेमिस्टर के लिए बुक्स खरीदने की कवायद

The library of various departments of the university has become outdated
यूनिवर्सिटी के दो सेमिस्टर हो चुके अब बचे दो सेमिस्टर के लिए बुक्स खरीदने की कवायद
यूनिवर्सिटी के दो सेमिस्टर हो चुके अब बचे दो सेमिस्टर के लिए बुक्स खरीदने की कवायद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी के विविध विभागों की लाइब्रेरी आउटडेटेड हो गई हैं। समय के साथ बदल चुके सिलेबस के अनुरूप किताबें कई विभागों की लाइब्रेरी में नहीं हैं। ऐसे में अब जब नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडेशन काउंसिल का कुछ महीनों में मूल्यांकन होना है, तो यूनिवर्सिटी ने कई विभागों में पाठ्यक्रम से जुड़ी किताबों और जर्नल खरीदने के लिए निधि जारी की है। यूनिवर्सिटी को यह निधि नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के वक्त अमूमन जून-जुलाई माह में ही जारी कर देना था। मगर प्रशासकीय और विभाग प्रमुखों की लेटलतीफी के कारण इसमें अच्छा खासा विलंब हो गया। अब नैक के समक्ष बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सारी कवायद शुरू है, लेकिन अब तक आधा सत्र बीत चुका है। प्रथम और तीसरे सेमिस्टर की परीक्षाएं समाप्त हो गई हैं। दूसरे और चौथे सेमिस्टरों की बाकी हैं। ऐसे में निधि जारी होने के बाद किताबें विद्यार्थियों के हाथों तक पहुंचने और पढ़ाई शुरू होने में खासा समय बीत जाएगा। आगे विश्वविद्यालय के विविध विभागों के सांस्कृतिक कार्यक्रम, कैंपस का संयुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम, इंटर कॉलेज-विभाग प्रतियोगिता आविष्कार जैसे कार्यकमों की शुरुआत होगी, जिसमें विद्यार्थी व्यस्त होंगे।  आगामी कुछ दिनों में विद्यार्थी इन किताबों का कितना उपयोग करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 

सेंट्रल लाइब्रेरी के सहारे पढ़ाई
दरअसल, नागपुर यूनिवर्सिटी के पास दो प्रकार की लाइब्रेरी है। एक सेंट्रलाइज लाइब्रेरी और दूसरी सभी विभागों की अपनी स्वयं की लाइब्रेरी। विश्वविद्यालय हर साल अपने वार्षिक बजट में लाइब्रेरी के विकास और विस्तार के लिए प्रावधान रखता है। सेंट्रल लाइब्रेरी के ग्रंथपाल पर ही विविध विभागों की निजी लाइब्रेरी में किताबें पहुंचाने का जिम्मा होता है। विभाग प्रमुखों को अपने विभाग की लाइब्रेरी में लगने वाली कितबों की मांग यूनिवर्सिटी  ग्रंथपाल को भेजनी होती है। इसके बाद वे किताबों का प्रबंध करते हैं। मगर विभाग प्रमुखों और यूनिवर्सिटी प्रशासन की इस ओर अनदेखी के कारण विभागों की लाइब्रेरी की दुर्दशा हो गई। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी द्वारा जारी किए गए फंड से विभागों की लाइब्रेरीज का कितना कायाकल्प हो पाता है, इस पर स्टूडेंट्स की नजर टिकी हुई है।

हर साल जारी करते हैं फंड
विश्वविद्यालय तो हर साल सेंट्रल लाइब्ररी के लिए निधि जारी करता है। इसी में से विभागों के लाइब्रेरी का प्रबंध भी होता है। ऐसे में विभागों को अपनी जरूरत के अनुसार किताबें मंगानी चाहिए। यूनिवर्सिटी इसके लिए पर्याप्त फंड जारी करता है।  -डॉ.प्रमोद येवले, प्र-कुलगुरु नागपुर विश्वविद्यालय

Created On :   26 Dec 2018 7:31 AM GMT

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