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NMC ने लागू की मैनुअल व्यवस्था, आनलाइन की शर्तों ने डाला मुसीबत में

डिजिटल डेस्क, नागपुर। NMC ने मैनुअल तरीके से भवन निर्माण की अनुमती दे दी है। आनलाइन मंजूरी के तहत कड़ी शर्तों से हो रहे नुकसान के चलते एनएमसी ने ऐसा किया है। बता दें कि भवन निर्माण विभाग में आए दिन भ्रष्टाचार की शिकायतों से तंग आकर सरकार ने बीपीएमएस सॉफ्टवेयर से काम करने का आदेश दिया। इसमें भवन निर्माण के सभी आदर्श नियमों को 100 % फीड कर दिए। इसके आधार पर ही ऑनलाइन आवेदनों को मंजूरी देना तय किया, जिसके चलते परंपरागत काम करने का तरीका ही खत्म हो गया। इसका असर यह हुआ कि तीन माह में 63 आवेदनों में से मात्र तीन आवेदनों को मंजूरी के लिए योग्य समझा गया। इस व्यवस्था से चारों ओर हड़कंप मच गया और सभी प्रैक्टिकल हल निकालने के लिए मनपा पर दबाव बनाने लगे। मनपा अफसरों का तर्क था कि इससे राजस्व कम हुआ, यदि मैनुअल अनुमति दी जाती। तो 25 करोड़ आ सकते थे। दूसरी तरफ क्रेड़ाई ने मनपा में आपत्ति दर्ज करवाई कि ऐसा ही चलता रहा, तो ठेकेदारों का काम ही बंद हो जाएगा। इन सब के चलते मनपा ने मैनुअल तरीके से भवन निर्माण की अनुमति वापस लागू कर दी। हालांकि इस पर साफ-साफ बोलने के लिए कोई भी जिम्मेदार तैयार नहीं हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस पर आदर्श जवाब कैसे दिया जाए।
तीन माह में तीन आवेदन ही हुए मंजूर
शहर के लिए बीपीएमएस सॉफ्टवेयर बिलकुल नया है। पिछले 3 माह में 63 ऑनलाइन आवेदन आए, लेकिन उनमें से सिर्फ 3 को ही मंजूरी मिल सकी। जैसे ही सॉफ्टवेयर में 7-8 मंजिल के भवन को मंजूरी के िलए डाला जाता है, वह अनुमति देने से इनकार कर देता है। इसी तरह निर्माण में खाली स्पेस छोड़ने की बात हो या पार्किंग स्पेस, यदि सब कुछ तय नियमानुसार नहीं है तो सॉफ्टवेयर अनुमति नहीं देगा। इसके चलते अब आवेदनांे का ढेर लग गया है। बताया जा रहा है कि नई कंपनी के पास कर्मचारी कम होने के कारण भी समस्या आ रही।
ठेकेदारों का नुकसान वजह
क्रेड़ाई का तर्क है कि भवन को मंजूरी नहीं मिलने के कारण आम नागरिकों और बिल्डरों के निर्माण कार्य अटक गए थे। काम में देरी के कारण उनको नुकसान उठाना पड़ रहा था। यह समस्या किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे शहर का है, इसलिए इस विषय पर तत्काल निर्णय लिया जाए। इस विषय को लेकर क्रेड़ाई ने मनपा के स्थायी समिति व प्रभारी आयुक्त से मिलकर इसकी शिकायत भी की। विभिन्न समस्याओं और चर्चा के बाद मनपा प्रशासन ने क्रेड़ाई को आश्वासन दिया कि वह सॉफ्टवेयर को 3 माह में सुधार लेंगे और आगे से उनको किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मकसद से हुआ अलग हुआ
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से एक ओर लोगों को मनपा कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, तो वहीं दूसरी ओर सॉफ्टवेयर खुद ही नाप-तौल कर लेगा, इससे डिजाइन से छेड़छाड़ होने की आशंका भी कम हो जाएगी।
अब ऑफलाइन मंजूरी
साॅफ्टवेयर नया होने के कारण लोगों को ऑनलाइन मंजूरी नहीं मिल पा रही है। इसे ध्यान में रखकर ऑफलाइन मंजूरी की अनुमति दे दी गई है। इससे एक ओर लोगों को मंजूरी के िलए इंतजार नहीं करना पड़ेगा, दूसरी ओर मनपा को भी राजस्व मिलेगा, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
तब तक ऑफलाइन काम करें
सॉफ्टवेयर नहीं चल रहा है तो उसे 6 माह में सुधारें। साथ ही लोगों को परेशानी न हो इस बात को ध्यान में रखकर नियमानुसार ऑफलाइन अनुमति दें, जिससे लोगों का काम न रुके। सॉफ्टवेयर सुधरते ही फिर उससे काम करना शुरू कर दें। - नंदा जिचकार, महापौर
Created On :   22 Oct 2018 11:57 AM IST