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अंग्रेजी में PhD की संख्या हुई कम, सेमेस्टर सिस्टम से घटे स्टूडेंट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अंग्रेजी में एम.ए. करने वालों की संख्या में भले ही इजाफा हुआ है, लेकिन शोधार्थी में तेजी से गिरावट आई है। रिसर्च में कमी आने के कई कारण ये हैं कि स्नातकोत्तर कोर्स की पढ़ाई के लिए छात्रों की पहली पसंद प्राइवेट कॉलेज ही हैं, अब इनमें रिसर्च भी शुरू होने की वजह से राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विद्यापीठ के अंग्रेजी डिपार्टमेंट रिसर्च कम हो रहे हैं। हिस्लॉप कॉलेज, धरमपेठ कॉलेज, कमला नेहरू कॉलेज जैसे कई प्राइवेट कॉलेज में भी रिसर्च शुरू होने से अंग्रेेजी विभाग में कम विद्यार्थी शोध करते हैं। नए नियमों के मुताबिक कई प्राइवेट कॉलेजों को रिसर्च करवाने की अनुमति मिलने से रातुम के अंग्रेजी डिपार्टमेंट में शोधार्थी कम हुए हैं, वहीं रही सही कसर पूरी कर दी सेमिस्टर सिस्टम ने। सेमिस्टर सिस्टम की वजह से फाइनल ईयर तक आते-आते विद्यार्थी एक तिहाई रह जाते हैं।
सेमिस्टर सिस्टम ने कम किए स्टूडेंट्स
रातुम में लागू सेमेस्टर सिस्टम का कुछ यही हाल है। शिक्षा ढांचे में मूलभूत बदलाव के सेमिस्टर प्रणाली छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने लगी है। इस प्रणाली में शिक्षा सत्र को छह-छह महीने के दो सत्रों में तो बांट दिया गया, लेकिन सेमिस्टर सिस्टम की रीढ़ यानी सतत आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली को पुराने माइंड सेट के कारण ढंग से लागू ही नहीं किया जा सका। दरअसल, वार्षिक परीक्षा से उलट सेमिस्टर प्रणाली में पूरे कोर्स को दो हिस्सों में बांटकर छह-छह माह में परीक्षा ली जाती है। जब यह प्रणाली लागू की गई तो तर्क दिया गया कि इससे छात्रों पर बोझ नहीं पड़ेगा और उनमें सीखने की प्रवृत्ति बढ़ेगी सेमिस्टर प्रणाली छात्रों के निरंतर मूल्यांकन के लिए हैं, जिसमें रोज असाइनमेंट दिए जाते हैं, लगातार टेस्ट होते हैं जिनके अंक परिणाम में जोड़े जाते हैं।
एक या दो स्टूडेंट्स ही करते हैं रिसर्च
अंग्रेजी साहित्य में एक या दो विद्यार्थी ही रिसर्च करते हैं, इसकी वजह पेट परीक्षा और दूसरा सब्जेक्टिव परीक्षा होना है। पेट परीक्षा में पास होने के बाद भी सब्जेक्टिव परीक्षा पास करना भी विद्यार्थियों के लिए चुनौती बन रही है। सबब ये है कि अब सिर्फ एक से दो विद्यार्थी ही शोध कर रहे हैं, लेकिन जो भी विद्यार्थी यहां हैं वे स्क्ल्डि हैं।
- डॉ. धरमदास शेंडे, अंग्रेजी विभाग, एचओडी
फैकल्टी कम है
वहीं रातुम के अंग्रेजी डिपार्टमेंट में फैकल्टी की कमी भी है इससे भी विद्यार्थियों में कमी आई है हांलाकि एम.ए. प्रथम वर्ष में 60 विद्यार्थी हैं, तो दूसरे वर्ष में करीब 15 विद्यार्थी हैं। वहीं सेमिस्टर सिस्टम की वजह से भी पार्ट 2 में विद्यार्थी कम हो जाते हैं कुछ बीएड करने चले जाते हैं।
Created On :   18 Oct 2018 4:54 PM IST