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बीटीआर में बाघों की संंख्या बढ़ी, पुनर्वास के लिए एक्सपर्ट तैयार कर रहे योजना

डिजिटल डेस्क शहडोल । बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ गई है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से बीटीआर से लगे हुए शहडोल, कटनी और सीधी वनमंडलों के जंगलों में बाघ देखे जा रहे हैं। अखिल भारतीय गणना में 2-3 माह के बाद सभी टाइगर का बायोडाटा तैयार होगा। फिर सुरक्षा के लिए टाइगर रिजर्व की तर्ज पर वन मण्डल को विकसित किया जाएगा। धमोखर बफर से लगे चंदिया सामान्य वन मण्डल में अचला, ताली में एक बाघिन दो शावकों के साथ ट्रेस हो रही है। हफ्तेभर में इन्होंने क्षेत्र के आधा दर्जन मवेशियों को निवाला बनाया। इसके अलावा घुनघुटी में चार प्रमुख बाघिनों का कुनबा बाघ विहीन क्षेत्रों में लगातार दस्तक दे रहा है। इसके अलावा ब्यौहारी के गोदावल के आसपास दो से तीन बाघों का मूवमेंट है। यही बाघ जयसिंहनगर रेंज की तरफ भी आते हैं। नदी के किनाने कई जगह इनके पगमार्क मिले हैं। वहीं ट्रैपिंग कैमरे में भी कुछ तस्वीरें कैद हुई हैं। जनवरी में गोहपारू क्षेत्र में भी एक बाघ देखा गया था। उसने यहां पशुओं का शिकार किया था। वहीं शहडोल शहर के आसपास भी पिछले करीब छह माह से बाघों की मूवमेंट है। पिछले दिनों ही शहडोल रेंज से लगे नरवार के बाघ के पगमार्क मिले थे।
सामान्य से ज्यादा है बाघों का घनत्व
वन क्षेत्र में बाघों की आदर्श टैरेटरी 10-15 वर्ग किमी. होती है। 2014 में की गणना के अनुसार बांधवगढ़ में वयस्क बाघों की संख्या 65 थी। इनमे बाघ-बाघिन की संख्या बराबर बताई गई। विशेषज्ञों के मुताबिक एक बाघिन 12 माह में दो बार गर्भवती होती है। एक साथ 2-4 शावकों के जन्मोपरांत औसतन दो ही जीवन के संघर्ष में बचते हैं। इस लिहाज से बीटीआर में 40 से अधिक शावक इस बार गणना में शामिल होंगे। बाघों का घनत्व 15 वर्ग किमी. से कम साबित हो रहा है। यही कारण है कि वंशवृद्धि से बूढ़े बाघ उमरिया के अलावा कटनी, शहडोल तथा सीधी की ओर कूच कर रहे हैं।
सात शावक की मौत ऑन रिकॉर्ड
वर्ष 2017 में मप्र. के वनक्षेत्रों में 10 बाघ शावकों की मौत ऑन रिकार्ड दर्ज हुई। ये ऐसे शावक थे, जिन्हें अवस्क (0-2 साल) की श्रेणी में रखा जाता है। बांधवगढ़ में 29 सितंबर को तेंदुए ने धमोखर में एक शावक को मारा था। दो साल की शावक मगधी के कुएं में गिरकर मृत मिली थी। अप्रैल 2017 में ही तीन शावक पार्वो वायरस से मारे जा चुके हैं। शहडोल व घुनघुटी सामान्य वन मण्डल में भी एक-एक शावक मारे गये।
इनका कहना है
शहडोल, कटनी, सीधी में घूम रहे बाघ बांधवगढ़ के ही वंशज है। बाघ गणना में हम 2-3 माह के भीतर बाघों की वास्तविक संख्या जान सकेंगे। बाघ विचरण वाले प्रदेश के सभी सामान्य वन क्षेत्राधिकारियों को टाइगर रिजर्व की भांति पेट्रोलिंग कैम्प, निगरानी तंत्र तथा पानी उपलब्धता के अलावा नया प्लान तैयार किया जा रहा है।
-आलोक कुमार, एपीसीसीएफ भोपाल
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Created On :   10 Feb 2018 1:46 PM IST