अब पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग मेलघाट व्याघ्रप्रकल्प में शामिल

the Pandharkawada Wildlife Department is involved in the Melghat tiger project
अब पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग मेलघाट व्याघ्रप्रकल्प में शामिल
अब पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग मेलघाट व्याघ्रप्रकल्प में शामिल

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पेंच व्याघ्र प्रकल्प में आने वाले पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग को 1 अप्रैल से मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में शामिल किया गया है। जिसके चलते पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र टिपेश्वर अभयारण्य अब मेलघाट का हिस्सा बन गया है। यह निर्णय 30 जनवरी 2020 को प्रशासन की ओर से लिया गया था। बता दें कि पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग की निर्मिती वर्ष 2013 में हुई थी। इस विभाग अंतर्गत टिपेश्वर व वैनगंगा ऐसे दो अभायरण्य शामिल थे।

टिपेश्पर अभयरण्य में 3 नर व 5 मादा व  9 शावक ऐसे कुल मिलाकर 17 बाघ हैं। जिसके कारण टिपेश्वर अभयारण्य पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया था। हर बार सैलानियों को बाघ देखने को मिलने से इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती गई ।  पेंच व्याघ्र प्रकल्प को इसका अच्छा राजस्व भी प्राप्त होता था। लेकिन अब इसे मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प से जोड़ा गया है। टिपेश्वर अभयारण्य के दो शावकों को मार्च 2019 में रेडियो कॉलर भी लगाया गया है। जिससे इन दोनों बाघों को तारों के फंदे से निकालने में विभाग को सफलता भी मिली थी। इसके बाद इन दोनों बाघों की सहायता से संशोधन में वन विभाग को अच्छी जानकारी हासिल हुई थी। इन दोनों बाघों में ही शामिल सी-1 नाम बाघ ने सबका ध्यानाकर्षित उस वक्त कर दिया था।

जब उसने एक साल में 3 हजार किलोमीटर का सफर तय कर लिया था। इतना लंबा सफर कर वह ज्ञानगंगा अभायरण्य में बस गया । विदर्भ का बाघ मराठवाडा तक पहुंचने की बात इसी बाघ की वजह से साफ हो सकी थी। इनमें शामिल दूसरा सी-3 बाघ तेलंगाना जाकर वापस टिपेश्वर पहुंचा है। ऐसे में बाघों का कॉरिडोर के लिए भी इस जंगल को महत्व मिल सका है। महाराष्ट्र व तेलंगाना इस दोनों वन विभाग कर्मचारियों का प्रशिक्षण पांढरकावड़ा वन विभाग के विविध क्षेत्र में हुआ है। नये विभाजन के बाद अब टिपेश्वर अभायरण्य साथ ही पूरा पांढरकावड़ा वन विभाग के विभिन्न क्षेत्र की जिम्मदारी अब मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की रहनेवाली है। पेंट व्याघ्र प्रकल्प के नियंत्रण में रहनेवाले पांढरकावड़ा वन्यजीव विभाग अब मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को हस्तांतरीत करने के लिए प्रशासन ने दिशा निर्देश जारी किये हैं। ऐसे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक के निर्देश पर इसे हस्तांतरित किया गया है।

Created On :   2 April 2020 4:25 PM IST

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