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पीड़िता की मां के मुकरने के बावजूद DNA जांच के आधार पर रेप के आरोपी सौतेले बाप की सजा बरकरार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बाबे हाईकोर्ट ने सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म करनेवाले आरोपी पिता को दोषी ठहराने के निर्णय को बरकरार रखा है। चूंकि इस मामले में पीड़िता की मां अपने बयान से मुकर गई थी इसलिए कोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराने के निर्णय को कायम रखा। कोर्ट ने इस मामले में डीएनए रिपोर्ट को पुष्ट सबूत माना।निचली अदालत ने इस मामले में आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 506 व पाक्सो कानून की धारा 4 व 6 के तहत दोषी ठहराया था। निचली अदालत के इस निर्णय के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की थी। अपील में आरोपी ने डीएनए के नमूने को लेकर सवाल उठाए थे। न्यायमूर्ति एसके शिंदे के सामने अपील पर सुनवाई हुई।
मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि पीड़िता के साथ जब यह वारदात हुई, उस समय वह कक्षा सातवीं में पढती थी और उसकी उम्र 14 साल थी। दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई थी और उसे गर्भपात कराना पड़ा था। पीड़िता जब दो साल की थी तो उसके पिता का निधन हो गया था। कुछ समय बाद मां ने दूसरा विवाह कर लिया। इसके बाद पीड़िता अपनी मां के पास रहने आयी।
शुरुआत में पीड़िता ने कहा था कि उसके स्कूल में एक बच्चे ने उसके साथ दुष्कर्म किया है लेकिन जांच में पता चला कि पीडिता ने जिस आरोपी का नाम लिया है उस नाम का कोई लड़का स्कूल में नहीं था। फिर पीड़िता ने आटोरिक्शा ड्राइवर का नाम लिया लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली। अप्रैल 2014 में पीड़िता ने अपने सौतेले पिता के नाम का खुलासा किया। इसके बाद भ्रूण से निकाले गए रक्त व पीड़िता के रक्त के नमूने व आरोपी के रक्त के नमूने लेकर डीएनए जांच की गई। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता के पिता को आरोपी बनाया गया। मामले से जुड़े तथ्यों के आधार पर निचली अदालत ने आरोपी को दोषी ठहराया और न्यायमूर्ति शिंदे ने निचली अदालत के आदेश को सही मानते हुए उसे कायम रखा है।
Created On :   11 March 2021 11:30 PM IST