बना रहा भक्त और भगवान का रिश्ता, सितारे की तरह चमका अधिकारी

the relationship between the devotee and God remained same for years
बना रहा भक्त और भगवान का रिश्ता, सितारे की तरह चमका अधिकारी
बना रहा भक्त और भगवान का रिश्ता, सितारे की तरह चमका अधिकारी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। 34 साल पहले 1984 में वाहन निर्माणी जबलपुर में नौकरी पर आए साधारण अधिकारी ने एक छोटे से मंदिर की आधारशिला रखी। जब तक यहां रहे भगवान का पूजन अर्चन किया । तबादला होने पर दूसरे शहर चले गए लेकिन इस दौरान भक्त और भगवान के बीच जो रिश्ता बना वह अटूट रहा ।उस रिश्ते का विश्वास सदैव अडिक रहा । काबिलियत पर ऐसी कृपा बरसी की वही अधिकारी 41 ऑडनेंस फैक्ट्रिओं के मुखिया बन गए लेकिन अब उनकी बारी थी । एक दिन लौट कर आए तो सीधे वही पहुंचे लेकिन जंगल और कबाड़ से ओझल हो चुका मंदिर नजर ही नहीं आया । चंद दिनों में ही मंदिर को खोज निकाला गया । एफबी के चेयरमैन इस तरह दूसरी बार पहुंचे । इस तरह से 34 साल बाद फिर भक्त और भगवान का मिलन मुमकिन हो पाया। वाकई दोनों ने क्या खूब रिश्ता निभाया । दरअसल आयुध निर्माणी बोर्ड के चेयरमैन इन दिनों जबलपुर की दौरे पर है । हाल ही में वाहन निर्माणी पहुंचे । निर्माणी का निरीक्षण करते हुए पीके श्रीवास्तव प्लांट 2 के समीप बने स्टोर में पहुंचे जहां एक कोने में दमक रहे मंदिर में विशेष अनुष्ठान रखा गया। चेयरमैन पूजन अर्चन पर बैठे हवन किया इसके बाद हनुमान जी की आरती वंदना की। ज्यादातर कर्मचारियों को यह महज एक धार्मिक आयोजन समझ में आया लेकिन इसके पीछे की पटकथा कुछ और ही थी ।

1984 में बनवाया मंदिर
वर्ष 1984 में असिस्टेंट वक्र्स मैनेजर के पद पर रहे पीके श्रीवास्तव को उन दिनों स्टोर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी । जानकारों का कहना है कि उसी दौरान उन्होंने अपने सेक्शन के बगल से छोटा सा मंदिर बनवाया था और उसमें भगवान हनुमान जी की स्थापना की गई ।  इसके पीछे यह सोच थी कि इससे ईश्वरीय शक्ति का वास रहेगा जिससे शक्ति मिलती रहेगी और जिम्मेदारी का निर्वहन पूर्ण निष्ठा से होता रहेगा.

पहली बार देखा तो दुखी हुए
श्रीवास्तव ने जुलाई 2018 में चेयरमैन का पद संभाला था इसके कुछ महीने बाद आपका जबलपुर व्हीकल फैक्ट्री आना हुआ । सूत्रों का कहना है कि जब वे स्टोर सेक्शन में पहुंचे तो ना भगवान की प्रतिमा नजर आई और ना ही मंदिर। इस पर चेयरमैन ने अपनी भावनाएं जािहर की थी । इसके बाद से प्रशासनिक अधिकारियों ने मंदिर की खोजबीन शुरू कराई । कहा जा रहा है कि कई टन कवाड़ और घनी झाडिय़ों को अलग करने के बाद मंदिर नजर आया।

भगवान की महिमा भी अपरंपार
एक साधारण से आयुध कर्मचारी के बेटे की स्कूली शिक्षा खमरिया स्कूल में सम्पन्न हुई । स्टेट के ई टाइप क्वार्टर में उनका जन्म हुआ और वहीं के मैदानों में उनका बचपन बीता । उस वक्त तक किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि एक दिन यही सामान्य बालक पूरी ऑडनेंस फैक्ट्री का मुखिया बनेगा।

Created On :   26 Dec 2018 5:34 PM IST

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