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राज्य सरकार को नॉन-कोविड मरीजों के इलाज की दरें तय करने के अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश के निजी अस्पतालों को बड़ी राहत देते हुए देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार को निजी अस्पतालों में नॉन-कोविड मरीजों के इलाज की दरें तय करने के अधिकार नहीं है। इस निरीक्षण के साथ न्या. डी.वाय.चंद्रचूड और न्या. एम.आर.शाह की खंडपीठ ने नागपुर खंडपीठ के 23 अक्टूबर के आदेश को कायम रखा है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार की इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम के तहत राज्य सरकार को दरें नियंत्रित करने के अधिकार है। उल्लेखनीय है महाराष्ट्र सरकार ने 30 अप्रैल और 4 मई को नोटिफिकेशन जारी करके दरों पर नियंत्रण लगाया था।
सरकार का आदेश था कि निजी अस्पताल राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर ही नॉन-कोविड मरीजों का इलाज करेंगे। विदर्भ हॉस्पिटल एसोसिएशन और डॉ. प्रदीप अरोरा ने राज्य सरकार के इस आदेश को नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की दलील थी कि अपना व्यवसाय करना और उसके लिए दाम तय करना उनका मौलिक अधिकार है। राज्य सरकार को इस पर नियंत्रण लगाने के अधिकार नहीं है। राज्य ने जो दरें तय की हैं वे अत्याधिक कम है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर न्या. रवि देशपांडे व न्या. पुष्पा गनेडीवाला की खंडपीठ ने निजी अस्पतालों के पक्ष में फैसला दिया था। राज्य सरकार ने नागपुर खंडपीठ के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने नागपुर खंडपीठ के आदेश को कायम रखते हुए राज्य सरकार की दलीलें खारिज कर दीं।
Created On :   20 July 2021 3:05 PM IST