मेलघाट में बच्चों की मौत को रोकने राज्य सरकार ने तैयार की अल्प व दीर्घकालिक योजना

The state government has prepared a short and long term plan to prevent the death of children in Melghat.
मेलघाट में बच्चों की मौत को रोकने राज्य सरकार ने तैयार की अल्प व दीर्घकालिक योजना
स्वास्थ्य मेलघाट में बच्चों की मौत को रोकने राज्य सरकार ने तैयार की अल्प व दीर्घकालिक योजना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेलघाट व राज्य के अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में बच्चों की होनेवाली मौत को रोकने के लिए राज्य सरकार ने अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजना तैयार की है। जिसे राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने बांबे हाईकोर्ट में पेश किया है। राज्य के महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग ने यह योजना नागपुर रेज के विशेष पुलिस महानिरीक्षक छेरिंग दोरजे की ओर से मेलघाट में बच्चों की मौत के कारणों को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर तैयार की है।  राज्य के महाधिवक्ता कुंभकोणी ने सरकार की ओर से तैयार की गई योजना की प्रति न्यायमूर्ति एए सैय्यद व अभय आहूजा की खंडपीठ के सामने पेश की है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले के पक्षकारों के साथ इस रिपोर्ट को साझा करने को कहा है। हाईकोर्ट में मेलघाट में बच्चों की मौत व स्वास्थय सेवाओं की कमी को लेकर डाक्टर राजेंद्र बर्मा व सामाजिक कार्यकर्ता बीएस साने की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार श्री दोरजे की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं की सेहत की निगरानी के लिए प्रभावी योजना बनाई है। आंगनवाडी सेविकाओं व आशा वर्कर गर्भवती होने के दिन से महिलाओं की सेहत से जुड़ी जानकारी रखेगी। महिला व बालरोग विशेषज्ञ डाक्टर भी मेलघाट इलाके में बच्चों की सेहत को जांचने के लिए बुलाएं जाएंगे। इसके लिए शिवर का आयोजन होगा। महिलाए बच्चों की डिलेवरी के लिए अस्पताल आए इसके लिए उनका मार्गदर्शन किया जाए। और यह प्रयास किया जाएगा कि महिलाएं बच्चों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जन्म दे। महिलाओं की जांच के लिए सोनोग्राफी मशीन की भी व्यवस्था की गई है। गर्भवती होने के बाद से ही महिलाओं को पोषक आहार वितरित किया जाएगा। गांव स्तर पर महिलाओं की सेहत का कार्ड रखा जाएगा। 

सरकार की योजना के अंतर्गत मेलघाट में महिलाओं की तंबाकू की लत कम हो इसके लिए व्यापक रुप से जागरुकता अभियान चलाया जाएगा।  बच्चों की मौत के कारणों की अलग-अलग स्तर पर समीक्षा की जाएगी। महिलाओं की विवाह की उम्र को स्वास्थ्य शिक्षा का हिस्सा बनाकर जागरुकता फैलाई जाएगी। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को सौपे गए दस्तावेजों में मेलघाट व राज्य के अन्य आदिवासी इलाकों में बच्चों की मौत को रोकने व स्वास्थय व्यवस्था को मजूबत बनाने के लिए कई प्रभावी कदमों का जिक्र किया गया है। जिसमें डाक्टरों की नियुक्ति  भी शामिल है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले से जुड़ी याचिका पर 24 जनवरी 2022 को सुनवाई रखी है। 

Created On :   5 Jan 2022 7:21 PM IST

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