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श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार पाने वाले अध्यापकों को नहीं मिला योजना का लाभ, कोर्ट लेनी पड़ी दखल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान पुरस्कार पाने वाले अध्यापकों को निर्धारित लाभ न दिए जाने को लेकर दायर याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने शिक्षकों के अध्यापन कौशल को बेहतरीन बनाने के उद्देश्य से राज्य शिक्षक पुरस्कार की योजना की शुरुआत की थी। जिसके तहत जिला स्तर पर श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान पाने वाले अध्यापकों को सालाना इंक्रीमेंट के अलावा एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट प्रदान करना तय किया गया था।
याचिका के मुताबिक इस आशय को लेकर सरकार ने 12 दिसंबर 2000 को एक परिपत्र भी जारी किया था। परिपत्र में श्रेष्ठ शिक्षको का पुरस्कार पाने वाले अध्यापकों को सालाना इंक्रीमेंट के अलावा एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट का प्रावधान है। याचिका में मुख्य रुप से इस परिपत्र को लागू करने व इसके तहत निर्धारित किए गए लाभ को याचिकाकर्ताओ (शिक्षको) को देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका के अनुसार नाशिक जिला परिषद की ओर से 5 सितंबर 2010 को याचिकाकर्ताओ को श्रेष्ठ शिक्षक के पुरस्कार से नवाजा गया था। पर उन्हें सरकार के 12 दिसंबर 2000 के परिपत्र के तहत निर्धारित लाभ नहीं मिला है। इसलिए यह याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने 5 अप्रैल 2018 को श्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से नवाजे गए पात्र शिक्षको को उनका लाभ देने का भी निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति केके तातेड़ व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सहायक सरकारी वकील ने कहा कि नागपुर खंडपीठ के आदेश के बावजूद नाशिक जिला परिषद ने याचिकाकर्ताओ को क्यों उनका लाभ नहीं दिया है। इस बारे में उन्हें जानकारी जुटाने के लिए समय दिया जाए। इसके साथ ही वे इस बात का भी सत्यापन करना चाहते है कि कहीं नागपुर खंडपीठ के आदेश को चुनौती तो नहीं दी गई। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 1 मार्च 2021 तक के लिए स्थगित कर दी। और सरकार को याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने को कहा।
Created On :   23 Jan 2021 6:31 PM IST