न्यायपालिका पर टिका है नागरिकों का भरोसाः मुख्य न्यायधीश

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 "कानून व नैतिकता' विषय पर परिचर्चा में बोले चंद्रचूड  न्यायपालिका पर टिका है नागरिकों का भरोसाः मुख्य न्यायधीश

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड ने कहा हैनागरिकों की स्वतंत्रता कीरक्षाको लेकर लोगों का विश्वास न्यायपालिका पर टिका है। न्यायपालिका नागरिकों के "स्वतंत्रता  व कानूनी प्रक्रिया की संरक्षकहै।नागरिकों में यह विश्वास कायम रखना जरुरी है। श्री चंद्रचूड ने यह बाते शनिवार को यशवंतराव चव्हाण सभागृह में बांबे बार एसोसिएशन की ओर सेजाने-माने न्यायविद अशोक देसाई मेमोरियल लेक्चर के दौरान आयोजित कार्यक्रम में कहीं।  "कानून व नैतिकता" विषय पर सभागृह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री चंद्रचूड ने कहा किकानून हमारे बाहरी संबंधों को नियंत्रित करता है जबकि नैतिकता हमारे आंतरिक जीवन को नियंत्रित करती है। उन्होंने कहा संविधान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का ध्वजवाहक है। यह हमारे दैनिक जीवन का मार्गदर्शन करता है। भविष्य में लोगों को कैसा होना चाहिए इस बात का ध्यान भी संविधान तैयार करते समय रखा गया है। इस दौरान उन्होंने न्याय के लिए लड़नेवाले वकीलों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आजादी की लौ आज भी जल रही है। 

इस दौरान श्री चंद्रचूड ने फिर अपनी उस बात को दोहराया जिसके तहत उन्होंने एक बिजली चोरी से जुड़े मामले में आरोपी को राहत देते हुए कहा था कि कोई भी मामला अदालत के लिए छोटा अथवा बड़ा नहीं होता है। फिर चाहे मामला जिला अदालत,हाईकोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट के सामने क्यों न चल रहा हो।श्री चंद्रचूड की इस बात को केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू के उस बयान से जोडकर देखा जा रहा है जिसमें कानूनी मंत्री ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को छोटे अथवा जमानत से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए।  प्रसंगवश इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ने उत्तर प्रदेश में ऑनर किलिंग के एक मामले का उदाहरण दिया, जहां अभिभावक अपनी एक 15 वर्षीय लड़की की हत्या करके खुश थे। लेकिन तार्किक सोच रखनेवाला समाज इस बात से खुश नहीं होगा। इसलिए नैतिकता का अर्थ हर किसी के लिए अलग-अलग होता है।इस दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व एट्रानी जनरल ऑफ इंडिया श्री देसाई अभिव्यक्ति की आजादी व बोलने की स्वतंत्रता को लेकर समर्पित रहे। इस दौरान उन्होंने मराठी के सुप्रसिद्ध लेखक विजय तेंदुलकर के नाटक "सखाराम" के मंचन को लेकर श्री देसाई की ओर से वकील के रुप में की गई कोर्ट में पैरवी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि श्री देसाई ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया था। इस बीच उन्होंने समलैंगिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले का भी जिक्र किया। कार्यक्रम में हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला,सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता, सहित हाईकोर्ट के कई न्यायमूर्ति व बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे। 


 

Created On :   17 Dec 2022 7:42 PM IST

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