साल 2019 : बाघ व तेंदुए ने छुड़ाए पसीने... कभी शहर में घुस आने की, तो कभी खेत-कुएं में गिरने की खबर सुर्खियाें में रही

साल 2019 : बाघ व तेंदुए ने छुड़ाए पसीने... कभी शहर में घुस आने की, तो कभी खेत-कुएं में गिरने की खबर सुर्खियाें में रही
साल 2019 : बाघ व तेंदुए ने छुड़ाए पसीने... कभी शहर में घुस आने की, तो कभी खेत-कुएं में गिरने की खबर सुर्खियाें में रही

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्ष 2019 वन विभाग के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ। साल भर बाघ, तेंदुए के पीछे भाग-दौड़ मची रही। कभी शहर में घुस आने की खबर मिली, तो कभी खेत-कुएं में उनके गिरने की खबर। साल के अंत तक रिहायशी इलाकों में दहशत बनी रही। मिहान में बाघ व अंबाझरी परिक्षेत्र में तेंदुए की उपस्थिति ने वन विभाग को उलझाए रखा। हालांकि अंत तक इनका पता वन विभाग नहीं लगा सका। 

बड़ी हलचलें 
- शहर के आसपास बाघ व तेंदुए की मौजूदगी से लोगों में दहशत बनी रही। हालांकि शिकार बनाए गए मवेशियों के आधार पर ही उनके होने की पुष्टि की जाती रही। 
- जून के आखिर में हिंगना परिसर में बीबी सावली शिवार में बाघ की मौजूदगी से दशहत बना रहा। बाघ ने खेत में बने तबेले में बछड़े का शिकार किया था। 
- इसी परिसर में 27 मई को वसंता झाड़े नामक किसान के आंगन में बंधे बछड़े का शिकार हुआ था। साल के बीच में बुटीबोरी स्थित प्रशांत रतन के फार्म हाउस परिसर में भी बाघ ने बैलों का शिकार किया था। 
- जुलाई में वाड़ी के फेटरी परिसर में भी बाघ होने की चर्चा जोरों पर थी। पेंच से स्पेशल टाइगर फोर्स को बुलाया गया, फिर भी बाघ का पता नहीं चल सका था। 
- फिर नवंबर में मिहान के पास बाघ व दिसंबर की शुरुआत में तेंदुआ दिखा। खोजबीन के लिए नागपुर, बुटीबोरी व हिंगना परिक्षेत्र से 150 के करीब कैमरे लगाए गए, लेकिन कोई पुख्ता जानकारी वन विभाग के हाथ नहीं लगी। 
- हालांकि इनकी मौजूदगी के चलते अंबाझरी का बायोडायवर्सिटी पार्क आठ दिन के लिए बंद रखा गया था। मिहान में लंबे समय तक ग्राम निवासियों को मुखौटे पहन कर खेत में काम करने की सलाह दी गई थी।

मौत की खबरें 
- साल भर प्राकृतिक मौत के साथ शिकार व दुर्घटनाओं में वन्यजीवों की मौत होती रही, जिसमें बाघ भी शामिल रहा। 
- साल के शुरुआती महीनों में ही पवनी-उमरेड करांडला का मामला रहा। चिंचगांव के पास एक बाघिन का शव मिला था। 
- इसी परिसर के आस-पास एक दिन पहले एक बाघ का भी शव मिला था। इन मामलों को शिकार से भी जोड़ा जा रहा था। 
- नवंबर में शिवना नदी में चट्टानों के बीच फंसने से एक बाघ की मौत हो गई थी। बाघ लंबे समय से यहां फंसा था।
- दिसंबर में तील मानेगांव बीट वनकक्ष 293 के परिसर में खदान के पानी में एक बाघ का शव बहता दिखाई दिया था। 
- 11 दिसंबर को फिर एक बाघ की मौत की खबर विभाग तक पहुंची, मध्यप्रदेश की सीमा पर खांडसा में शव मिला था। 
- 15 दिसंबर को भंडारा परिक्षेत्र में तेंदुए का शव मिला। एनएच-6 पर सड़क दुर्घटना में उसकी मौत का अनुमान लगाया गया।

वन विभाग करता रहा रेस्क्यू  
कलमेश्वर वन परिक्षेत्र में इटनगोटी गांव के पास दिवाकर वडस्कर के खेत में बने कुएं में तेंदुए का शावक गिर गया था। रेस्क्यू टीम ने उसे बाहर निकाला। नरखेड़ क्षेत्र में स्थित हिवरमठ गांव में कुएं में गिरे तेंदुए को खटिया की सहायता से निकालना पड़ा था। साल के आखिर में कोंढाली क्षेत्र स्थित डोरली नामक गांव में भी इसी तरह की घटना हुई थी। इसी तरह की कई घटनाएं साल भर के दौरान सामने आती रहीं।  

गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर पर सवाल 
नागपुर शहर के पास बने गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में साल की शुरुआत में ही बड़ी घटना हुई थी। सुरक्षा के अभाव में यहां एक तेंदुए ने परिसर में घुसकर 9 हिरणों का शिकार कर लिया था। इसमें 4 काले हिरण, 2 बारहसिंगा व बाकी हिरण थे। वर्ष 2016 में इसी तरह की घटना यहां हुई थी, तब यहां सोलर एनर्जी फैंसिंग लगाई गई थी। बावजूद घटना की पुनावृत्ति होने से यहां की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं। यहां वन्यजीवों की मौत का सिलसिला चलता ही रहा। साल की शुरूआत में ही यहां भालू, तेंदुए की मौत दर्ज की गई थी। 

पुराने गए, तो नए बाघ आए भी
गोरेवाड़ा प्राणी संग्रहालय में साल की शुरुआत में आने वाली नरभक्षी बाघिन ई-वन व आखिर में मुंबई गए बाघ सुल्तान हर किसी के जहन में हैं। वन विभाग द्वारा मई माह के अंतिम सप्ताह में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के कोर एरिया में छोड़ी ई-वन बाघिन (नरभक्षी) को पकड़ने में वन विभाग को सफलता मिली थी। इसे पिंजरे में कैद कर नागपुर के गोरेवाड़ा में लाया था। इसे यहां रखा गया है। दिसंबर के आखिर में ब्रह्मपुरी से यहां लाए बाघ सुल्तान को प्रजनन के लिए मुंबई के संजय गांधी जू में भेजा गया है। 

449 मचानों पर 940 लोग... पूनम की रात में वन्यजीवों का दीदार
पूनम की रात में हुए मचान निरीक्षण में लोगों ने बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली श्वान के साथ बहुत कम देखे जाने वाले सिल्वर भालू का भी दीदार किया। विदर्भ में कपल 449 मचान बनाए गए थे। 940 लोगों ने वर्ष 2019 का निसर्गानुभव लिया है। इसमें 315 क्षेत्रीय कर्मचारी भी मौजूद थे। पेंच, ताड़ोबा, अंधारी, टिपेश्वर, मेलघाट, उमरेड करांडला आदि 30 जगहों पर कुल 449 मचान लगाए गए थे। करीब 17 घंटे चले निरीक्षण में पूनम के रात में कई वन्यजीवों का दीदार किया गया, जिसमें बायसन, नीलगाय, चीतल, बाघ, तेंदुए के साथ पेंगालिन व सिल्वर भालू भी देखा गया। सिल्वर भालू को कई जगहों पर देखा गया, जो आकर्षण का केन्द्र बना था।

सफारी...सफारी...सुनते-सुनते बीता साल
वर्षों पहले गोरेवाड़ा में करोड़ों रुपए की मदद से सफारी हब बनाने की योजना थी। काम भी शुरू हो गया था। इंडियन व अफ्रीकन सफारी का आकर्षण बयानों में झलकता रहा। वर्ष 2018 के दिसंबर में ही इसे शुरू करने का आश्वासन मिला था, लेकिन साकार नहीं हो सका। फिर 15 अगस्त को शुभारंभ करने की चर्चा थी, वह भी असफल रही। वर्तमान में इसे शुरू होने को लेकर कोई तिथि नहीं है। इंडियन सफारी की पूरी तैयारी हो गई है। विदर्भ व राज्य के लिए यह सफारी आकर्षण का केन्द्र होने के साथ ही साथ  वन विभाग के लिए राजस्व का जरिया बन सकता है।

Created On :   29 Dec 2019 2:18 PM GMT

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