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फिर बदलेगी नागपुर यूनिवर्सिटी समेत अन्य शिक्षा संस्थानों की संरचना
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 में संशोधन की तैयार की है। शीतसत्र 2016 से पारित होने के बाद यह अधिनियम 1 मार्च 2017 को लागू हुआ था, लेकिन महज 3 वर्ष में ही सरकार को इसमें संशोधन की जरूरत महसूस हो गई है। ऐसे में कुछ ही समय में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर यूनिवर्सिटी, कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विवि से लेकर प्रदेश की सभी गैर-कृषि विश्वविद्यालय की संरचना में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
राज्य सरकार ने जीआर जारी कर एक 14 सदस्यीय विशेष समिति गठित की है। यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुखदेव थोरात को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। समिति को अधिनियम की प्रत्येक धारा का अध्ययन कर जरूरी बदलाव सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। सिफारिशें तैयार करते वक्त राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा और प्रत्यक्ष तौर पर उन्हें लागू किया जा सकता है या नहीं, इस पर भी गौर किया जाएगा।
ये हुए थे बड़े बदलाव
-फडणवीस की सरकार महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1994 को बदल कर उसकी जगह महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम 2016 ले आई। इसे 1 मार्च 2017 से लागू किया गया। इससे विश्वविद्यालय की संरचना में कई बदलाव हुए।
-सबसे मुख्य यह कि विवि के विविध प्राधिकरणों में चुने हुए सदस्यों की संख्या कम कर दी गई, राज्यपाल और कुलगुरु नामित सदस्यों की संख्या बढ़ा दी गई।
-दूसरा मुख्य बदलाव यह कि 9 फैकल्टी को घटा कर 4 फैकल्टी कर दिया गया। विविध पाठ्यक्रमों को इन्हीं 4 मुख्य फैकल्टियों की श्रेणी में डाल दिया गया।
-इसके अलावा कई बड़े पद भी समाप्त कर दिए गए। टॉप 5 में गिना जाने वाला बीसीयूडी संचालक का पद रद्द कर दिया गया।
-वर्ष 2016 के अधिनियम में खुले छात्र संघ चुनावों को फिर से वापस लाया गया।
-ये सभी ऐसे बदलाव थे, जिनका शिक्षाविदों, शिक्षक-विद्यार्थी संगठनों और अन्य वर्गों ने विरोध किया था। चूंकि अधिनियम लागू हो गया था, इसलिए विश्वविद्यालयों ने इसे स्वीकार करके अपने यहां जरूरी बदलाव लागू किए। अब एक बार फिर संशोधन की तैयारी की गई है।
Created On :   20 Oct 2020 9:33 AM GMT