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40 पीजी विभागों में करीब 3000 सीटें हैं, 500 से अधिक खाली

सौरभ खेकडे.नागपुर । राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता इन दिनों सवालों के घेरे में है। स्थिति इतनी बुरी है कि लगातार पोस्ट ग्रेजुएशन में खाली सीटों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऊपर से विश्वविद्यालय की पोस्ट ग्रेजुएट प्रवेश प्रक्रिया का शेड्यूल इतना गड़बड़ाया है कि साल बर्बाद होने से बचाने के लिए अच्छे विद्यार्थी कहीं और प्रवेश ले रहे हैं। वरिष्ठ शिक्षाविदों और विवि प्राधिकरण सदस्यों के अनुसार, विश्वविद्यालय में किए जा रहे "एक्सपेरिमेंट" महंगे साबित हो रहे हैं। वर्तमान में नागपुर विवि के 40 पीजी विभागों में करीब 3000 सीटें हैं, जिसमें से 500 से अधिक सीटें खाली हैं।
शैक्षणिक गुणवत्ता सवालों के घेरे में
निजी कॉलेजों को दे रहे फायदा? कुछ वर्ष पहले तक नागपुर विश्वविद्यालय में कैंपस और सभी संलग्नित कॉलेजों में सेंट्रलाइज पद्धति से प्रवेश होते थे, लेकिन पिछले वर्ष कुलगुरु ने एक फैसला लिया और सेंट्रलाइज प्रक्रिया केवल पीजी विभागों के लिए सीमित कर दी। इसका नतीजा हुआ कि पीजी विभागों की प्रवेश प्रक्रिया देरी से शुरू हुई, तो विद्यार्थियों ने पहले ही निजी कॉलेजों में प्रवेश ले लिया। इस मुद्दे पर अक्टूबर 2021 को हुई सीनेट में सदस्यों ने कुलगुरु को आड़े हाथों लिया था। विवि प्रशासन पर निजी कॉलेजों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन कुलगुरु अपने इस फैसले पर कायम रहे।
पीजी के लिए नागपुर विवि पसंद नहीं
विवि के कैंपस के पीजी विभागों के अलावा संलग्नित कॉलेजों की स्थिति देखें तो वह भी बुरी ही है। कुछ वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन करें, तो दिखता है कि नागपुर विवि से पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार गिर ही रही है। वर्ष 2014-2015 में नागपुर विश्वविद्यालय ने 18910 विद्यार्थियों को पीजी डिग्री दी थी। इसके बाद यह संख्या लगातार गिरती रही। वर्ष 2021-22 में तो महज 11514 विद्यार्थियों को पीजी डिग्री प्रदान की गई थी।
4 महीने बर्बाद.. : हर साल विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में 15 जून से प्रवेश प्रक्रिया की शुरुआत होती है। इस वर्ष के एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार 1 अगस्त प्रवेश प्रक्रिया का आखिरी दिन होगा, लेकिन वास्तविक स्थिति देखें तो अभी अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों की परीक्षा ही चल रही है। ये परीक्षा 30 जून तक चलेगी। इस पर विवि सीनेट सदस्य एड.मनमोहन वाजपेयी ने कहा कि परीक्षा के बाद करीब डेढ़ माह परीक्षा परिणाम आने में लगेगा। इस अवधि में नतीजे आ भी गए तो प्रवेश प्रक्रिया 15 अगस्त के पूर्व शुरू नहीं होगी। हर वर्ष विवि को पीजी प्रवेश प्रक्रिया आयोजित करने में करीब 2 माह का समय लगता है। इसके अनुसार, विश्वविद्यालय के पीजी प्रवेश अक्टूबर माह तक जाएंगे। नागपुर विवि के पीजी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों के करीब 4 माह बर्बाद होते हैं, इससे बेहतर विद्यार्थी दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले लेते हैं। एड.वाजपेयी ने कहा कि पीजी पाठ्यक्रमों के साथ कुलगुरु ने बीते कुछ महीनों में अनेक एक्सपेरिमेंट किए, जो विफल रहे हैं। विवि के हित के लिए बेहतर है कि वे अपने ‘एक्सपेरिमेंट’ बंद करें।
ऑटोनॉमी दी, लेकिन संभालेगा कौन?
विवि कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी ने अपने कैंपस के सभी पोस्ट ग्रेजुएट विभागों को रातों-रात ऑटोनॉमी दे दी। आदेश जारी कर दिया कि विभाग अपना पाठ्यक्रम स्वयं तैयार करेंगे, परीक्षा भी खुद लेकर परिणाम भी खुद ही जारी करेंगे। लेकिन वास्तविक स्थिति देखें तो पीजी विभागों में शिक्षक ही नहीं है। पीजी विभागों में शिक्षकों के 243 पद मंजूर हैं, जिसमें से 142 रिक्त हैं। इस मामले में नागपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य डॉ.अनिल ढगे ने सवाल उठाया है कि कैंपस मंे शिक्षक ही नहीं है, कई विभागों में तो एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है, तो फिर ये ऑटोनॉमी संभालेगा कौन? पहले के जमाने में कैंपस में प्रवेश लेना शान की बात हाेती थी, लेकिन अब स्थिति इतनी बुरी है कि विद्यार्थी प्रवेश ही नहीं ले रहे। ऐसी स्थिति में रातों-रात फैसला लेकर पीजी विभागों को ऑटोनॉमी देना निश्चित तौर पर गलत फैसला था।
प्रवेश प्रक्रिया वक्त पर
नागपुर विश्वविद्यालय की पीजी प्रवेश प्रक्रिया में देर नहीं होगी। संभवत: जुलाई के पहले सप्ताह में ही हम नतीजे जारी करना शुरू करेंगे। दूसरे विश्वविद्यालयों की तुलना में हमारे अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के नतीजे जल्दी लगेंगे। कई जगहों पर अब तक परीक्षा भी शुरू नहीं हुई है। जहां तक पीजी प्रवेश की संख्या घटने की बात है, आपको यह डेटा कहां से मिला इसी पर सवाल है। इसका सत्यापन किए बगैर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। - डॉ.सुभाष चौधरी, कुलगुरु, नागपुर विश्वविद्यालय
Created On :   22 Jun 2022 5:50 PM IST