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छिंदवाड़ा: कोरोना काल में डोनर गायब, अस्पताल में ब्लड का संकट

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। कोरोना काल में जिला अस्पताल में ब्लड का संकट छाया हुआ है। 600 यूनिट की क्षमता वाले ब्लड बैंक में अभी सिर्फ 30 यूनिट ब्लड बचा है। गंभीर मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराने में कर्मचारियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के भय से लोग स्वेच्छिक रक्तदान करने लोग अस्पताल नहीं पहुंच रहे है। इस वजह से पिछले तीन माह से ब्लड बैंक में ब्लड की कमी बनी हुई है।
ब्लड बैंक कर्मचारियों के मुताबिक अभी इमरजेंसी के लिए सिर्फ 30यूनिट ब्लड शेष बचा है। इसमें से भी 9 यूनिट ब्लड नेगेटिव ब्लड ग्रुप का है। जिसे लम्बे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता। ब्लड के संकट से निपटने अस्पताल प्रबंधन ने लोगों से अपील की है कि वे अस्पताल पहुंचकर रक्तदान करें। ताकि गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सके।
थैलीसीमिया व सिकलसेल के मरीज परेशान
जिला अस्पताल में 200 सिकलसेल, 21 थैलीसिमिया के मरीजों को इलाज दिया जा रहा है। इन मरीजों को समय-समय पर ब्लड की जरुरत होती है। अस्पताल में ब्लड का संकट होने से इन मरीजों को ब्लड नहीं मिल पा रहा है। बिना एक्सचेंज के इन मरीजों को भी ब्लड नहीं दिया जा रहा है।
एक्सचेंज करने पर ही मिल रहा ब्लड
ब्लड बैंक में रक्त की कमी होने पर अतिगंभीर मरीज को छोड़कर सभी मरीजों के परिजनों से एक्सचेंज करने पर ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा है। ताकि ब्लड बैंक में आपूर्ति बनी रहे। इस बीच कई परिजनों द्वारा बिना एक्सचेंज ब्लड देने विवाद किया जाता है। अस्पताल में ब्लड को लेकर लगभग हर रोज विवाद की स्थिति निर्मित होती है।
रोजाना लगभग 30 यूनिट की जरुरत
जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में हर रोज लगभग 30 यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि एक्सचेंज में ब्लड न लें तो एक दिन में ही ब्लड बैंक खाली हो जाएगा। इस बीच कर्मचारियों पर नि:शुल्क ब्लड देने जनप्रतिनिधियों समेत अन्य प्रभावशाली लोगों का दबाव बना रहता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
कोरोना संकटकाल में अस्पताल में ब्लड की कमी बनी हुई है। सामाजिक संस्थाएं व स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले डोनर अस्पताल आकर ब्लड डोनेट कर सकते है, ताकि हर मरीज को ब्लड उपलब्ध कराया जा सके।
अविकांत बेलेे, ब्लड बैंक काउंसलर
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।