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रेत घाटों पर नहीं है सीसीटीवी, धड़ल्ले से हो रहा उत्खनन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘सीसीटीवी लगाने से प्रतिदिन घाट से कितनी ब्रॉस रेत वाहनों से उठाई गई, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण प्रशासन को मिलता है। हर 15 दिन का रिकॉर्ड भी राजस्व विभाग को फुटेज सहित देना होता है। बावजूद रेत ठेकेदारों ने लगभग 6 महीने बीत जाने के बाद भी कोई लेखा-जोखा प्रशासन को नहीं सौंपा है।’
नागपुर जिले में लगभग 22 रेत घाटों की नीलामी हो चुकी है। क्षेत्र के अधिकांश घाटों से रेत उत्खनन जारी है। घाट शुरू करने से पहले खरीदार व प्रशासन के बीच करारनामा किया जाता है। साथ ही प्रशासन द्वारा नदी से रेत उत्खनन के लिए नियमावली भी प्रेषित की जाती है, जिसका उल्लंघन होने पर प्रशासन कभी भी रेत उत्खनन पर रोक लगा सकता है। बावजूद रेत ठेकेदार नियमों को धता बताकर धड़ल्ले से रेत उत्खनन करने पर आमादा हैं।
22 घाटों में से एक पर भी कैमरा नहीं
22 घाटों में से एक भी घाट पर कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं, जबकि प्रत्येक घाट पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य है। सीसीटीवी लगाने से प्रतिदिन घाट से कितनी ब्रॉस रेत वाहनों से उठाई गई, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण प्रशासन को मिलता है। हर 15 दिन का रिकॉर्ड भी राजस्व विभाग को फुटेज सहित देना होता है। बावजूद रेत ठेकेदारों ने लगभग 6 महीने बीत जाने के बाद भी कोई लेखा-जोखा प्रशासन को नहीं सौंपा है। कुछ रेत घाट मालिकों ने जो रिकॉर्ड सौंपा भी है, वह रिकॉर्ड सरकारी विभाग के टेक्निकल एक्सपर्ट की मदद व सेटिंग कर बनाया गया है। इसमें प्रशासन के ही कुछ लोगों की लिप्तता को नकारा नहीं जा सकता, जबकि घाटों से अब तक लाखों ब्रॉस रेत ठेकेदारों द्वारा बेची जा चुकी है।
एनजीटी के दिशा-निर्देशों की धज्जियां
रेत घाट शुरू करने पहले प्रत्येक घाट की आराजी (क्षेत्रफल) का डिमार्केशन किया जाता है, लेकिन रेत ठेकेदार पहले ही दिन से लेकर अब तक तय सीमा से आगे जाकर रेत का बड़े पैमाने पर उत्खनन कर चुके हैं। साथ ही रेत उत्खनन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिशा-निर्देश जारी कर घाटों से आधुनिक मशीनों से (पोकलेन, जेसीबी, मोटर बोट) से उत्खनन पर रोक लगा रखी है, किंतु रेत ठेकेदार धड़ल्ले से आधुनिक मशीनों का उपयोग कर रहे हैं। इससे रेत घाट में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। नदी में जानवर, मवेशी व इंसानों का डूबने का खतरा बढ़ गया है। अब देखना यह है कि, जिलाधिकारी घाट के सीसीटीवी फुटेज को लेकर क्या रुख अपनाती हैं।
उत्खनन का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता
रेत उत्खनन को लेकर खनिकर्म विभाग द्वारा सूर्याेदय से लेकर सूर्यास्त तक का समय निर्धारित किया है। बावजूद रेत घाट मालिक नियमों की तिलांजलि देते हुए 24 घंटे पोकलेन से उत्खनन कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा रहे हंै।
समीप के जिलों में रेत के ऊंचे दाम
जिले के सभी घाटों से रेत अकोला, अमरावती तथा नागपुर समेत आस-पास के इलाकों में भेजी जाती है। वहां रेत के ऊंचे दाम मिलते हैं, किंतु दिनभर में एक ही ट्रिप लग पाती है। इस बात का फायदा उठाते हुए ट्रक मालिक एक रॉयल्टी पर अकोला, अमरावती के नाम पर नागपुर के आस-पास चार से पांच ट्रिप लगा रहे हैं।
10 जून से बंद हैं रेत घाट
10 जून के बाद से नागपुर जिले के सभी रेत घाट बंद हैं। इसके पहले स्टॉक का पंचनामा किया गया है। रेत घाट बंद होने से सीसीटीवी लगाने का सवाल ही नहीं। नदी के 5 किमी के दायरे तक सभी प्रकार की गतिविधियां बंद हैं। जहां भी हमें गड़बड़ी की आशंका या जानकारी मिलती है, हम कार्रवाई करते हैं। -अतुल मैत्रेय, एसडीओ
Created On :   6 Aug 2021 3:59 PM IST