दिवाली पर खूब हुई आतिशबाजी, पाबंदी के बावजूद शोर से बढ़ा पोल्यूशन

There was a lot of fireworks on Diwali, noise increased despite ban
दिवाली पर खूब हुई आतिशबाजी, पाबंदी के बावजूद शोर से बढ़ा पोल्यूशन
दिवाली पर खूब हुई आतिशबाजी, पाबंदी के बावजूद शोर से बढ़ा पोल्यूशन

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मनपा आयुक्त ने पटाखों पर पाबंदी की घोषणा की थी, बावजूद इसके शहर में दीपावली पर पटाखों का शोर और प्रदूषण जारी रहा। ध्वनिमुक्त क्षेत्र भी नहीं बच पाए। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) का दावा है कि शहर में पटाखों का शोर बेहद कम रहा है, लेकिन ध्वनि प्रदूषण की जांच रिपोर्ट के आंकड़ों में पटाखों का शोर दर्ज हुआ है। सबसे अहम बात यह कि पाबंदी को लेकर मनपा प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही पुलिस ने भी कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की।

ध्वनिमुक्त क्षेत्र में खूब प्रदूषण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सिविल लाइन स्थित उपकरण में शनिवार की रात 9 बजे वायु प्रदूषण 168 माइक्रोग्राम दर्ज हुआ है। निर्धारित मानकों के मुताबिक 200 माइक्रोग्राम खतरनाक माना जाता है। शहर के महल, कलमना जैसे व्यावसायिक इलाकों के साथ ही अजनी जैसे ध्वनिमुक्त क्षेत्र में भी पटाखों का खूब प्रदूषण फैलाया गया। इस दौरान कोई कार्रवाई नजर नहीं आई। 

11 से 16 नवंबर तक जांच
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शहर में ध्वनि प्रदूषण की साल में दो बार जांच की जाती है। कर्मचारियों के साथ ही उपकरणों की कमी के चलते मुंबई मुख्यालय ने ठाणे की निजी कंपनी महाबल एन्वायरो इंजीनियरिंग एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी दी है। इस काम के लिए एजेंसी को 26,11,418 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। राज्य में 158 स्थानों पर दीपावली के दौरान 11 से 16 नवंबर तक ध्वनि प्रदूषण की जांच की जा रही है। 

नागपुर में इस प्रकार वर्गीकरण
महाबल एन्वायरो इंजीनियरिंग एजेंसी ने ध्वनि प्रदूषण जांच के लिए तीन जोन व्यावसायिक, निवासी एवं साइलेंट जोन में 10 स्थानों का चयन किया है। व्यावसायिक क्षेत्र में कलमना एचबी टाउन, इतवारी शहीद चौक, साइलेंट जाेन में मेडिकल चौक, अजनी चौक के अलावा निवासी क्षेत्र में वर्धमानगर देशपांडे ले आउट, महल में अयचित मंदिर चौराहा, सदर में गांधी चौक, सिविल लाइन में आकाशवाणी चौक, धरमपेठ में झंडा चौक शामिल हैं। इन इलाकों से मिलने वाले आंकड़ों को अधिकृत मानकर एमपीसीबी स्वीकार करती है। हालांकि एमपीसीबी की ओर से एजेंसी की जांच व्यवस्था की निगरानी का कोई प्रावधान नहीं होता है। आलम यह है कि एमपीसीबी के कार्यालयों में फील्ड अधिकारियों के पास ध्वनि प्रदूषण जांच के मीटर तक पर्याप्त संख्या में मौजूद नहीं हैं।

ध्वनि एवं वायु प्रदूषण में रही कमी
कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए विशेष एहतियात बरती गई। एनजीटी के निर्देशों को मनपा और पुलिस विभाग से साझा किया गया था। ध्वनि प्रदूषण निर्धारित सीमा से कम ही पाया गया है। पटाखों पर पाबंदी के चलते ध्वनि प्रदूषण में कमी हुई है।
-हेमा देशपांडे, उपप्रादेशिक अधिकारी, एमपीसीबी, नागपुर

सिविल लाइंस परिसर ही प्रदूषित
वायु प्रदूषण 168 माइक्रोग्राम और ध्वनि प्रदूषण 84 डेसिबल पहुंचना खतरे का परिचायक है। पटाखा बंदी की घोषणा के बावजूद एमपीसीबी और मनपा ने रोकथाम के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए। पर्यावरण को लेकर यह घोर लापरवाही है।
-कौस्तुभ चटर्जी, संस्थापक, ग्रीन विजिल फाउंडेशन

Created On :   16 Nov 2020 5:10 AM GMT

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