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सट्टा खाईवाल की तड़ीपार ने ली जमानत, फिर विवादों में पुलिस की कार्यप्रणाली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सट्टा-पट्टी खायवाली करने के आरोप में गिरफ्तार आरोपियों की जमानत एक तड़ीपार द्वारा लेने से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ज्ञात हो कि, शांतिनगर थानांतर्गत एक सप्ताह पहले लालगंज क्षेत्र में सरकारी शौचालय के पास एक सट्टा-पट्टी अड्डे पर पुलिस ने छापा मारा। यहां से तीन आरोपियों को नागरिकों की खायवाली करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपियों में शेख आरिफ शेख गनी, कलीम शेख उर्फ बब्बू और परसराम गेडाम शामिल थे।
सट्टा-पट्टी अड्डे से पकड़े गए आरोपियों की एक तड़ीपार आरोपी द्वारा जमानत लिए जाने की चर्चा है। पुलिस के अनुसार गत दिनों शांतिनगर थाने के डीबी स्क्वॉड को गुप्त सूचना मिली कि लालगंज परिसर में सरकारी शौचालय के पास एक सट्टा-पट्टी अड्डे पर कुछ लोग सट्टा लगाने वालों से खायवाली कर रहे हैं। पुलिस दल ने वहां पर गत दिनों शाम करीब 6 से 6.20 बजे छापा मारा। उक्त तीनों आरोपी नागरिकों से सट्टा-पट्टी की खायवाली कर रहे थे। पुलिस ने आरोपी शेख आरिफ, कलीम शेख और परसराम गेडाम के खिलाफ शांतिनगर थाने में मामला दर्ज किया गया था।
एपीआई की शिकायत पर दर्ज किया गया था मामला
सूत्रों से पता चला है कि सट्टा-पट्टी अड्डे से पकड़े गए आरोपियों में से कुछ लोगों की जमानत बारापात्रे नामक एक तड़ीपार आरोपी ने ली है। इस आरोपी को नंदनवन थानांतर्गत तड़ीपार किया गया है, जिससे शांतिनगर थाने के डीबी स्क्वॉड में कार्यरत कुछ पुलिस कर्मियों की भूमिका को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि आरोपियों के खिलाफ शांतिनगर थाने में एपीआई घनश्याम तिवारी की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। तिवारी भी थाने के डीबी स्क्वॉड में कार्यरत हैं। तिवारी ने बताया कि यह कार्रवाई उनकी टीम ने नहीं की है।
...इसलिए विवादित रहा कार्यकाल
सूत्रों के अनुसार सट्टा-पट्टी अड्डे पर छापा मार कार्रवाई करने के बाद भी एपीआई तिवारी ने डीबी स्क्वॉड के दूसरे दस्ते के अधिकारी सुधीर बघेल की कार्रवाई बताई। जब सुधीर से इस बारे में चर्चा की गई तब उन्होंने कहा कि जिस दिन कार्रवाई की गई, उस दिन वह रात की पाली में ड्यूटी पर थे। यह कार्रवाई दिन में तिवारी और उनके सहयोगियों ने की थी। तिवारी ने कार्रवाई करने की बात से क्यों इनकार किया, यह वही जानें, लेकिन उनका कार्यकाल काफी विवादित रहा है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।