‘फ्री फायर’ गेम के चक्कर में घर से भाग रहे किशोरों को पुलिस ने पकड़ा, फांस रहा गिरोह

‘फ्री फायर’ गेम के चक्कर में घर से भाग रहे किशोरों को पुलिस ने पकड़ा, फांस रहा गिरोह
‘फ्री फायर’ गेम के चक्कर में घर से भाग रहे किशोरों को पुलिस ने पकड़ा, फांस रहा गिरोह

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘फ्री फायर’ मोबाइल गेम के चक्कर में घर से भागे नागपुर के तीन बालकों को नासिक में ट्रेन के पहुंचते ही पुलिस ने पकड़ लिया था। वह नागपुर से ट्रेन में बैठकर मुंबई जा रहे थे। तीनों बालकों को पुलिस ने परिजनों के हवाले कर दिया। तीनों बालकों ने बताया कि  ‘फ्री फायर’ गेम के किसी बड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने का लालच दिया गया था। 

लोकेशन से मिली कामयाबी
प्रतापनगर इलाके में रहने वाले तीनों बालकों की उम्र 15 से 16 वर्ष बताई गई है। उन्हें मुंबई के किसी गिरोह ने  ‘फ्री फायर’ गेम की बड़ी प्रतियोगिता के आयोजन की जानकारी दी। तीनों ने इसमें भाग लेने का निर्णय लिया और शनिवार को सुबह करीब 6 बजे नागपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और मुंबई जाने के लिए ट्रेन में सवार हो गए। इधर, तीनों के अभिभवाक प्रतापनगर थाने में पहुंचे। उनके गुमशुदा होने की शिकायत की। उपायुक्त नुरूल हसन के मार्गदर्शन में पुलिस निरीक्षक ठोसरे और उपनिरीक्षक विशाल नांदगाये ने तीनों बालकों के मोबाइल फोन का लोकेशन पता किया। उनके भुसावल तक जाने का लोकेशन मिला। उसके बाद पुलिस ने नाशिक रेलवे पुलिस को जानकारी दी। नाशिक रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस ने तीनों बालिकों को ट्रेन से उतारा। रविवार को नागपुर पुलिस का दस्ता वहां पहुंचा। तीनों बालकों को लेकर वह नागपुर वापस लौटे। सोमवार को तीनों बालकों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया गया।  

कोलकाता के बच्चों की जानकारी नहीं 
नागपुर से तीन और कोलकाता से कुछ बच्चे मुंबई पहुंचने वाले थे। यह बात नागपुर पुलिस को इन तीनों बच्चों ने बताई। नागपुर  पुलिस की सतर्कता के चलते नागपुर के तीनों बालकों को मुंबई पहुंचने से पहले पकड़ लिया गया। कोलकाता के बच्चों का क्या हुआ, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

अभिभावक सतर्क रहें 
ऑनलाइन गेम बच्चों व युवा पीढ़ी को अपना शिकार बना रहे हैं। इनकी लत उनके लिए जानलेवा भी साबित होने लगी है।
बच्चों पर नजर रखें कि वह कौन सी गेम खेलते हैं। उनके ऑनलाइन लेन-देन व अन्य गतिविधियों को लेकर सतर्क रहें। 

आपके बच्चे में भी परिवर्तन तो नहीं
निर्धारित लक्ष्य पाना आसान नहीं होता, लेकिन जुनून दिलो-दिमाग पर इस कदर हावी होता जाता है कि आचरण में बेचैनी साफ झलकती है। 

किशोर रात को ऑनलाइन होकर एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इन्हें सिर्फ रैंकिंग चाहिए। समय और पैसे की बर्बादी से इन्हें कोई सरोकार नहीं। 

बच्चे छिपाते हैं, मगर आप जान लें 
यह गेम यूं तो ऑनलाइन फ्री में उपलब्ध है, लेकिन  यह एक ऐसा बैटल ग्राउंड उपलब्ध करवाता है, जिसमें स्वयं को बचाने के लिए जद्दोजहद चलती है। जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ता है, इसके अनुसार रैंकिंग मिलती है। नतीजा किशोर व युवा इसमें बुरी तरह डूबने लगते हैं और फिर वहां से निकलना आसान नहीं होता। एक विद्यार्थी ने फ्री फायर गेम खेलने के चक्कर में अपने पिता के 1.12 लाख रुपए उड़ा दिए थे। गेम खेलने के दौरान गैजेट्स और दूसरी सुविधाएं अनलॉक करने के लिए यह रकम खर्च की।    


 

Created On :   17 Feb 2021 6:02 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story