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'सफलता के तीन मापदंड हैं धन, ज्ञान और भाग्य'

डिजिटल डेस्क,नागपुर। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक विद्यार्थी के पास विश्व के रूप में सारा आसमान होता है। हर कोई एक सफल व्यक्ति बनना चाहता है। हमारे समाज में सफलता के तीन मापदंड हैं। सर्वप्रथम यह देखा जाता है कि आपने धन कितना कमाया, इसी तरह आपके पास कितना ज्ञान है, इससे लोग आपका आकलन करते हैं। इसके बाद आता है-आपका भाग्य। यानी आपने सामने मौजूद कितने मौकों को लपक कर उसमें से कुछ रचनात्मक लाभ हासिल किया है।
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज के 20वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि विद्यार्थियों से संवाद साधा। शुक्रवार को यह कार्यक्रम कॉलेज परिसर में आयोजित किया गया। समारोह में 676 विद्यार्थियों को डिप्लोमा प्रदान किया गया। इसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के छात्र सैयद शोएब सलीम को सर्वाधिक 8 मेडल और पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के विविध संकायों के कुल उत्कृष्ट 21 विद्यार्थियों का मेडल और पारितोषिक देकर सम्मान किया गया।
उद्योग के लिहाज से हो पाठ्य्रकम
कार्यक्रम अध्यक्ष उच्च व तकनीकी शिक्षा सहसंचालक गुलाबराव ठाकरे ने भी विद्यार्थियों से संवाद साधा। उन्होंने कहा कि आज का दौर तकनीकी का दौर है। ऐसे में यह जरूरी है कि पाठ्यक्रम में सर्वांगीण विकास के पहलु शामिल किए जाएं। उन्होंने परिणामकारक और उद्योग को जंचे ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने विद्यार्थियों से निरंतर उत्कृष्टता की ओर बढ़ते रहने का आह्वान किया। कार्यक्रम में प्राचार्य सी.एस. थोरात ने संस्था की वार्षिक रिपोर्ट का वाचन किया। परीक्षा नियंत्रक एम.एस. देशपांडे, टेक्सटाइल विभाग प्रमुख दीपक कुलकर्णी समेत अन्य विभाग प्रमुख मंच पर उपस्थित थे।
अच्छा काम हो, तो करें जल्दबाजी
कुलगुरु ने आगे कहा कि इन तीन सूत्रों को साधने से ही आपका जीवन सफल होगा। धन को जितना खर्च करेंगे, घटेगा, ज्ञान को जितना अधिक बाटेंगे, उतना अधिक बढ़ेगा और भाग्य एक ऐसी चीज है, जो सदा समान बने रहता है। इन तीन सूत्रों से ही बेहतर परिणाम हासिल होते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन के मूलमंत्र भी दिए। उन्होंने प्रसंग समेत समझाया कि किसी अच्छी चीज को करने में आप जितनी जल्दबाजी करें, उतना अच्छा। प्रतिस्पर्धा के दौर में अपने प्रतिद्वंद्वी को कभी भी कम करके न आंके। और सबसे अहम्, अपनी राज की बातंे स्वयं तक ही सीमित रखें।

Created On :   17 Feb 2018 4:13 PM IST