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48 घंटे भूखे रहकर चलाई ट्रेन, लोको पायलट्स और गार्डों का तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन

डिजिटल डेस्क, शहडोल। माइलेज भत्ता दर आरएसी 1980 फार्मूला तथा आरबीई 13/2018 के विसंगत पेंशन आदेश के विरोध में तीन दिन लोकोपायलट व गाड्र्स ने विरोध व्यक्त किया। 700 से अधिक कर्मचारियों ने 48 घण्टे भूखे रहकर गाड़ी का परिचालन किया। गुरुवार को रेलवे स्टेशन क्रू लॉबी में सभा के बाद प्रदर्शन कर अपनी मांगे दोहराईं। रेल मंत्री को चेताया कि यदि रेलवे उनकी मांगे पूरी नहीं करता तो भविष्य में चक्का जाम किया जाएगा। ज्ञात हो कि आल इण्डिया लोको रंनिग स्टॉफ संगठन के आव्हृान पर यह प्रदर्शन 17 जुलाई से शुरु किया गया था। 18 व 19 को सभी कर्मचारी उपवास पर रहे।
उपवास में बिगड़ी पायलट की तबियत- गुरुवार को विरोध प्रदर्शन के आखिर दिन रेलवे स्टेशन में सभा आयोजन किया गया था। 48 घंटे के उपवास समापन सभा में लगभग 200 स्टाफ शामिल हुआ। सभा को सेवानिवृत पायलट एनसी चक्रवर्ती मुख्य वक्ता व सतीश शर्मा, पुष्पेन्द्र शर्मा, रजनीश कुमार, विद्यासागर, अभिषेक पाण्डे, सुधीर, भीम सिंह, अनुज विश्वकर्मा और प्रभात कुमार आदि ने संबोधित किया। उन्होंने बताया पूरे भारत में 48 घंटे के सामूहिक उपवास से लगभग 800 पायलट की तबियत खराब हो गयी और 2 पायलट की मौत भी हो गई। यदि रेल्वे बोर्ड उनकी दोनों मांगों को शीघ्र पूर्ण करने का निर्णय नही लेता तो वृहद स्तर पर प्रदर्शन होगा।
इन विसंगतियों पर है विरोध-संगठन का कहना है कि दूसरे रेलकर्मियों के टीए की भांति लोको पायलट और गार्डों को रनिंग भत्ता दिया जाता है। यह भत्ता ट्रेन संचालन की दूरी में तय किलोमीटर के हिसाब से आरएसी 1980 फार्मूला के अनुसार तय दर से दिया जाता है। यह विधि पिछले 38 सालों तक अपनाई गई जब भी टीए वेतन बढ़ा। सातवें वेतन आयोग के भत्तों की रिपोर्ट 01/07/2017 से लागू की गयी। लेकिन रेल प्रशासन रनिंग भत्ते की दर में संशोधन में अनुचित देरी कर रहा है जिससे रनिंग स्टाफ में रोष व्याप्त हो रहा है। भारत सरकार की नीति के अनुसार 2016 से पहले और 2016 के बाद के सेवानिवृत्त रनिंग स्टाफ के पेंशन/पारिवारिक पेंशन में असमानता है।
Created On :   20 July 2018 2:05 PM IST