कोयला मंत्री की घोषणाएं सिर्फ आश्वासन, खुलने के बजाए बंद हो गई तीन भूमिगत खदानें

Three underground mines closed in koyelaanchal chhindwara mp
कोयला मंत्री की घोषणाएं सिर्फ आश्वासन, खुलने के बजाए बंद हो गई तीन भूमिगत खदानें
कोयला मंत्री की घोषणाएं सिर्फ आश्वासन, खुलने के बजाए बंद हो गई तीन भूमिगत खदानें

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। कोयलांचल को जीवनदान देने कोयला मंत्री पीयूष गोयल के द्वारा ढाई साल पहले की गई तीन बड़ी घोषणाओं के बाद कोयलांचल और बर्बाद हो गया। कोयला मंत्री ने हर साल एक नई खदान खोलने की बात की थी पिछले ढाई साल में एक भी नई खदान नहीं खुली और तीन भूमिगत खदानें बंद कर दी गई। जिन निकायों की आधार शिला रखी गई वे आज दुर्दशा का शिकार हैं। केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल 31 अगस्त 2015 को कोयलांचल के परासिया में आए थे। इस दौरान उन्होनें क्षेत्र के लिए न सिर्फ तीन बढ़ी घोषणाएं की बल्कि कोयलांचल में हर साल एक नई खदान खोलने और कामगारोंं को बेहतर सुविधाएं देने का वादा भी किया। कोयलामंत्री के परासिया आगमन और घोषणाओं से जो उम्मीदें क्षेत्र के लिए जागी थी ढाई सालों में धराशाई हो गई हैं। आज कोयलांचल दुर्दशा का शिकार है तीन भूमिगत खदानें बंद की जा चुकी हैं और पांच खदानें कतार में हैं। कामगारों को सुविधाओं के नाम पर केवल वेतन मिल रहा है।


इन निकायों की रखी थी आधार शिला
कोयलामंत्री पीयूष गोयल ने जमुनिया पठार भूमिगत खदान का भूमिपूजन किया था। यह खदान एक साल पहले ही यूपीए सरकार के कोयला मंत्री और जिले के सांसद कमलनाथ शुरू करा चुके थे। सरकार बदलने के बाद इस खदान में काम शुरू नहीं होने दिया गया। पीयूष गोयल के द्वारा भूमिपूजन होने के बाद इस खदान में मुहाना खोलने का काम शुरू किया गया।


आज क्या हालात
खदान में मुहाना खोलने का काम चालू है और 800 मीटर के दो मुहाने खोलने के बाद ही उत्पादन शुरू किया जा सकेगा। लेकिन ढाई साल में 200 मीटर मुहाना भी नहीं खोला जा सका है। काम अत्यंत धीमा चल रहा है अब कमर्शियल माइनिंग के चलते इस खदान में उत्पादन शुरू होने में भी संशय है।


2-  बड़कुही वेकोलि अस्पताल को केंद्रीय चिकित्सालय बनाने की आधार शिला
कोयलामंत्री ने बड़कुही वेकोलि अस्पताल को केंद्रीय चिकित्सालय में उन्नयन करने की घोषणा की थी और आधार शिला भी रखी थी। इस अस्पताल को पेंच, कन्हान और पाथाखेड़ा तीनों क्षेत्रों के केंद्र के रूप में डेवलप किया जाना था।


आज क्या हालात
 बड़कुही अस्पताल का उन्नयन तो दूर अस्पताल आज बंद होने की कगार पर आ गया है। अस्पताल केवल रेफरल सेंटर बना हुआ है। विशेषज्ञ सप्ताह में दो-दो दिन नागपुर से आकर सेंवाए दे रहे हैं। जनरल मजदूरों से तकनीकि काम लिए जा रहे हैं। कामगारों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प पड़ी हैं।

 

3- न्यूटन चिखली में टूरिज्म पार्क की आधार शिला
कोयलामंत्री ने क्षेत्र में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए न्यूटन चिखली में टूरिज्म पार्क की आधार शिला रखी थी। यह टूरिज्म पार्क का काम एक साल में ही शुरू किया जाना था।
आज क्या हालात:- टूरिज्म पार्क की आधार शिला के लिए लगाया गया पत्थर आज भी मौजूद है। लेकिन जो भूमि टूरिज्म पार्क के लिए आवंटित की गई थी वह भूमि अब नगर पंचायत के कचरा प्रसंस्करण के लिए दे दी गई है।


घोषणाएं और भी जो हवा हुई
1- 2008 से बंद सीता परमानंद पुनर्वास केंद्र को फिर से शुरू करवाने की घोषणा की थी। आज तक इस घोषणा पर अमल नहीं किया गया। सीतापरमानंद पुनर्वास केंद्र आज भी बंद है।
2-पेंच कन्हान पाथाखेड़ा में हर साल एक नई खदान खोलने की घोषणा की थी, एक भी नई खदान नहीं खोली गई।
3- कामगारों को सुविधाएं देने की बात की थी और सुविधाएं कम कर दी गई, स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर बची हैं।
4- कामगारों के आवासों की मरम्मत करानें की बात की गई थी, मरम्मत कराई गई है लेकिन कामगारों के सिर पर तबादले की तलवार लटकी है।

 

Created On :   24 April 2018 1:19 PM IST

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