जंगल में वॉकर की धूम, कॉलर आई डी लगे बाघ ने पूरा किया 3 हजार किमी का सफर

Tiger jumps in the forest  collars id tiger completed 3 thousand km journey
जंगल में वॉकर की धूम, कॉलर आई डी लगे बाघ ने पूरा किया 3 हजार किमी का सफर
जंगल में वॉकर की धूम, कॉलर आई डी लगे बाघ ने पूरा किया 3 हजार किमी का सफर

डिजिटल डेस्क,नागपुर।   यवतमाल जिले के टिपेश्वर अभयारण्य का टी1सी1 नामक बाघ ने अभी तक 3 हजार किमी का सफर पूरा किया है। ऐसे में वन विभाग ने इसे अब वॉकर नाम भी दिया है। इस बाघ ने अपने सफर के दौरान टिपेश्वर परिसर में 360 किमी टीपेश्वर से ज्ञानगंगा एक हजार 475 किमी व ज्ञानगंगा के आसपास 155 किमी तक सफर किया है। इसके अलावा इसके जर्नी में ज्ञानगंगा से अजिंठा के पहाड़ियों का सफर भी शामिल है।

टिपेश्वर अभायरण्य में उपरोक्त टी 1 सी1 नामक बाघ को वन विभाग ने 27 फरवरी 2019 में कॉलर आई डी लगाई थी। कॉलर आईडी लगाने का मुख्य उद्देश्य बाघ की एक्टिविटी पर नजर रखना था। इस बाघ ने महज 6 महीने में एक हजार किमी से ज्यादा का सफर कर लिया था। जिससे हर किसी का इसकी ओर ध्यानआकर्षित हो गया था। वन विभाग इस पर लगातार नजर रखे हुए था। कई खेत, खलिहानों को पार करते हुए  यह लगातार सफर करते रहा। साल के आखिर तक कुल 1800 किमी का सफर कर टिपेश्वर अभयारण्य का यह बाघ बुलढाना के ज्ञानगंगा अभयारण्य में पहुंच गया था।

वन अधिकारियों ने जब इस बाघ को पकडा , तब उसके पेट के पास तार का जाल था। जिससे वह जख्मी हो गया था। एक माह बाद उसकी तबीयत में सुधार आया था। जिसके बाद वह ठीक से चलने लगा था। 21 जून तक वह टिपेश्वर, अदिलाबाद, व पैनगंगा परिसर में घूम रहा था। इसी बीच 5 दिसंबर को उसने ज्ञानगंगा अभारण्य में प्रवेश किया था। इसके बाद वह लंबे समय तक यहां रूका था। ऐसे में वह यहीं पर रूका है। अभयारण्य का गाभा नामक क्षेत्र के 52 किमी दायरे में उसकी मौजूदगी बनी हुई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान की ओर से कुल 6 हजार अलग-अलग जगह पर उसके होने का प्रमाण दिया है। इतनी लंबी दूरी तय करने के बाद भी वह मानव के सामने नहीं आया है।

वन विभाग जोड़ीदार भेजने का विचार कर रही 
महिनों से यह बाघ इसी अभयारण्य में है। हालांकि यह बाघ जहां रूका है, वह बाघों की रहने की जगह घोषित नहीं है। ऐसे में बाघ का यहां ठहर जाना बाघ के लिए अनुकूल परिस्थिति के संकेत दे रहा है। जानकारों की माने तो बाघ ने यहां अपना क्षेत्र बना लिया है। वन विभाग ने नागपुर वन मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से एक ऐसी समिति का गठन किया है। जो बाघ के परिसर का अध्ययन कर इस बात को जानेगी कि, परिसर बाघ के लिए कैसा है। यदि यह परिसर बाघ के लिए अनुकूल रहा तो, बाघ के लिए जोड़ीदार भेजने का विचार  किया जाएगा।

 

Created On :   3 April 2020 5:17 PM IST

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