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उमरेड-करांडला से गायब हुए बाघ लक्खा और सी-2

डिजिटल डेस्क, नागपुर । उमरेड करांडला में लंबे समय से दो बाघ नजर नहीं आ रहे हैं। इनमें से एक है लक्खा और दूसरा है सी-2 नामक बाघ। दोनों ही लगभग 6-7 महीने से गायब हैं, जबकि दोनों लगभग हर सफारी में अक्सर ही दिखते थे।
बाघों की ऐसी है स्थिति
नागपुर जिले का उमरेड-करांडला 189 वर्ग किमी में फैला है। यहां 3 गेट हैं, जिसमें गोठनगांव, उमरेड-करांडला व पवनी गेट हैं। इस क्षेत्र में कुल आधा दर्जन से ज्यादा बाघ हैं। पवनी रेंज में मेल-फीमेल, तो गोठनगांव में एक फीमेल व उसके शावक हैं। वहीं, करांडला में कॉलर फीमेल बाघ व शावक हैं। इसके अलावा सूर्या नामक बाघ भी आता-जाता रहता है। सूत्रों की मानें तो इन क्षेत्र में चांदी व चार्जर बाघ का बेटा सी-2 भी था, लेकिन गत वर्ष अक्टूबर माह से इसे देखा नहीं गया है। गोठनगांव में दिखने वाला लक्खा नामक बाघ भी गत वर्ष से ही नजर नहीं आया है। इसी तरह एक वर्ष पहले चांदी बाघिन परिसर से अचानक ओझल हो गई थी। वन विभाग के अनुसार, इसे ब्रम्हपुरी में पाया गया था। उक्त दोनों बाघों को अभी तक किसी दूसरे रेंज में पाए जाने की जानकारी नहीं है, लेकिन विभाग का कहना है कि अक्सर ये एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाया करते हैं।
पेंच में बाघों की संख्या ज्यादा
महाराष्ट्र का पेंच 7 सौ से ज्यादा वर्ग किमी में फैला जंगल है। यहां दो रेंज हैं, जिसमें 6 से ज्यादा बीट भी हैं। इसमें पवनी यूनी कंट्रोल, देवलापार, ईस्ट पेंच, चोरबाहुली, सालेघाट आदि बीट आती है। हर साल यहां बाघों की संख्या बढ़ रही है। वर्तमान में यहां 50 से ज्यादा बाघ हैं। यही कारण है, कि यहां अचानक गायब होने वाले बाघ के बारे में अासानी से पता चल नहीं पाता है। वन विभाग को कैमरा ट्रैप की मूवमेंट से ही बाघों की उपस्थिति का पता चलता है।
कैमरा ट्रैप में सर्च करते हैं
बाघ एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करते रहते हैं। ऐसे में वह कई बार अपने क्षेत्र में नहीं दिखते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बाघ गायब हैं। कोई बाघ यदि नहीं दिखा तो अन्य रेंज में इसकी जानकारी दी जाती है। ऐसे में वह अपने कैमरा ट्रैप में सर्च कर जानकारी देते हैं। -आर. गवई, डीएओ ( वाइल्ड लाइफ), उमरेड करांडला, नागपुर
Created On :   5 Aug 2021 2:38 PM IST