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दैनिक भास्कर हिंदी: दीयापीपर के आसपास घूम रहा टाइगर, सोन नदी के किनारे मिले पगमार्क

डिजिटल डेस्क,शहडोल। शहडोल वन सर्किल अंतर्गत सोन नदी वाले इलाकों में बाघों का मूवमेंट देखा गया है। रविवार को सुबह भी एक टाइगर की लोकेशन सोन नदी के किनारे दीयापीपर में देखी गई है। नदी के पास ही टाइगर के पगमार्क भी मिले हैं। जिस इलाके में बाघ की लोकशन मिल रही है, वहां सोन नदी से रेत का उत्खनन भी होता है। यहां पर हर समय वाहन और लोग मौजूद रहते हैं। रेत के खदान बाघों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
वन विभाग ने जारी किया सर्च अभियान
रविवार को सोन नदी के किनारे पीएफ 702 के पास टाइगर के पदचिन्ह मिले हैं। वन विभाग के मैदानी अमले ने इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों दी। इससे पहले भी कुंवरसेजा के पास टाइगर के पगमार्क मिले थे। बताया जा रहा है कि घुनघुटी, शहडोल और गोहपारू रेंज के जंगलों में लगातार टाइगर का मूवमेंट हो रहा है। सोन नदी के आसपास ही बाघ घूम रहे हैं। वन विभाग की टीम लगातार सर्च अभियान चला रही है। रात के समय और सुबह-सुबह सर्च अभियान चलाया जाता है, ताकि टाइगर की सही लोकेशन का पता चल सके। शहडोल रेंज और गोहपारू रेंज के कर्मचारी लगातार बाघों की लोकेशन ट्रेस कर रहे हैं।
पानी के आसपास सर्चिंग
वन विभाग की सर्चिंग पानी और बिजली लाइनों के आसपास होती है। नियमित रूप से गश्ती दल के सदस्य उन इलाकों में जाते हैं। पिछले एक-डेढ़ साल के भीतर शहडोल वन वृत्त में पांच से अधिक टाइगर का शिकार हो चुका है, इसलिए वन विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है। इस समय गर्मी पड़ रही है। जंगल के भीतर पानी के स्रोत नहीं होने के कारण वन्य प्राणी पानी की तालाश में नदियों की तरफ आते हैं। सोन नदी जंगल के बीच से होकर गुजरती है और घुनघुटी रेंज से लगी हुई है, इसलिए सोन नदी के आसपास गर्मी के दिनों में बाघों का मूवमेंट बढ़ जाता है। गश्त के लिए वन कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी लगाई गई है। सर्किल इंचार्ज और बीटगार्ड सामूहिक रूप से नदी नालों की सीमाओं के आसपास गश्त करते हैं।
रेत की खदान बन सकती है खतरा
पिछले दिनों कुंवरसेजा के पास बाघ के पगमार्क मिले थे। कुंवरसेजा में ही सोन नदी पर रेत खदान की लीज मिली हुई है। वर्तमान में यहां पर दिन-रात रेत का उत्खनन किया जाता है। ऐसेे में यह खदान वन्य प्राणियों खासकर टाइगर के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। बाघ के शिकार से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। कुंवरसेजा रेत खदान से रोजाना लाखों रुपए की रेत निकलती है। यह खदान वन सीमा से लगा हुआ है। स्थिति यह है कि वाहन नदी की धार तक जाते हैं। नदी के बीचोंबीच वाहन खड़ा कर रेत का उत्खनन किया जाता है। यह एनजीटी के निर्देशों का अवहेलना तो है ही, गर्मी के दिनों में पानी की तलाश में यहां आने वाले वन्यप्राणियों के लिए भी खतरा है। वन विभाग के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
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