ट्रेनों में गंदगी से मुक्ति दिलाने बने 5230 बायोटैंक

To avoid dirt 5230 bio tank use in trains nagpur maharashtra
ट्रेनों में गंदगी से मुक्ति दिलाने बने 5230 बायोटैंक
ट्रेनों में गंदगी से मुक्ति दिलाने बने 5230 बायोटैंक

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  ट्रेनों में गंदगी से मुक्ति के लिए बायोटैंक बनाने का कार्य दपूम रेलवे की ओर से युद्धस्तर पर जारी है। 4500 के लक्ष्य का पीछा करते हुए गत एक साल में मंडल ने 5230 बायोटैंक बना डाले हैं। अब इन टैंकों को  विभिन्न दिशाओं की ओर भेजा जा रहा है।  वर्ष 2019 के अंत तक सभी गाड़ियों में बायो-टॉयलेट लगाने लक्ष्य है। बता दें कि मोतीबाग वर्कशॉप का विस्तार कर ग्रीन टॉयलेट बनाने का काम युद्धस्तर पर शुरू हुआ था। वर्ष 2015 नवंबर से काम शुरू किया गया है। वर्ष 2016 मार्च तक 700, अप्रैल 2016 से मार्च 2017-18 तक कुल 2500 व वर्ष 2018-19 में 5230 बायोटैंक बनाए गए हैं। 

गंदगी से निजात मिलेगी
बायोटैंक के उपयोग से  जहां सफाई को बढ़ावा मिलेगा, वहीं यात्रियों को गंदगी से निजात भी मिलेगी। तेजी से बायोटैंक की हो रहे निर्माण के कारण देशभर में पटरियों पर फैलने वाली गंदगी पर अंकुश लगाना आसान हो जाएगा। काफी हद तक इसका उपयोग कारगर भी हो रहा है।

ऐसा होता रहा है
वर्तमान में ट्रेनों के शौचालय का मल सीधा पटरियों पर गिरता है। इससे न सिर्फ पटरियां, बल्कि कई बार स्टेशन परिसर भी खराब होता है। यात्रियों के लिए हर टायलेट में  दिशा निर्देश भी होते हैं बावजूद इसके यात्री प्लेटफार्म आने पर भी टायलेट यूज करते हैं,जिससे पटरी पर गंदगी फैलती है। गंदगी से बीमारी होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। रेलवे विभाग ने इस परेशानी को देखते हुए ट्रेनों में ग्रीन टॉयलेट लगाने की घोषणा रेलवे बजट में की गई थी। नागपुर के मोतीबाग वर्कशॉप को इसके निर्माण का जिम्मा दिया गया है। बायोटैंक के बैक्टीरिया की भी यहां उत्पत्ति होने से गाड़ियों को इसकी सुविधा जल्दी मिल रही है। 

ऐसे काम करता है बायोटैंक 
दरअसल, बायोटैंक का बैक्टीरिया मल को पूरी तरह खत्म कर देता है। केवल पानी ही पटरियों पर जाएगा। यह प्रक्रिया ट्रेनों में सफाई बढ़ाने के लिए अहम साबित होगी। 

Created On :   4 April 2019 7:07 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story