पर्यटन विकसित करने बनेगा सिटी फॉरेस्ट- दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की होगी चहलकदमी

To promote tourism, forest department will make the city forest in Singrauli
पर्यटन विकसित करने बनेगा सिटी फॉरेस्ट- दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की होगी चहलकदमी
पर्यटन विकसित करने बनेगा सिटी फॉरेस्ट- दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों की होगी चहलकदमी

डिजिटल डेस्क सिंगरौली (वैढऩ)। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सिंगरौली में वन विभाग सिटी फॉरेस्ट बनायेगा। सिटी फॉरेस्ट में दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों को देखने का पर्यटक लुप्त उठा सकेंगे। नवागत डीएफओ विजय सिंह ने सिटी फॉरेस्ट के लिये शहर से लगे उपयुक्त क्षेत्र की तलाश पूरी कर ली है। वन विभाग ने करीब 25 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट विकसित करने की कार्य योजना तैयार की है। बताया जाता है कि सिटी फॉरेस्ट के लिये वन विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। हालांकि चुनाव के बाद ही इस कार्ययोजना पर अमल हो पायेगा। सिटी फॉरेस्ट के लिये वन विभाग ने अगले वित्तीय वर्ष तक का लक्ष्य रखा है। इससे शहरवासियों को न सिर्फ एक पर्यटन स्थल की सौगात मिलेगी, बल्कि दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों को एक बसेरा मिल जायेगा। आदिवासी संस्कृति के परिपूर्ण इस जिले के लोग भी इन पक्षियों के करीब आ सकेंगे और शिकार जैसे कृत्यों पर अंकुश लगेगा। 

शहर से लगी सीमा पर बनेगा सिटी फॉरेस्ट
वन विभाग द्वारा सिटी फॉरेस्ट के लिए शहर की सीमा से लगे जंगल की सीमा की लोकेशन टे्रस की गई है। इनमें बेस्ट लोकेशन को फायनल करने के लिये वन विभाग के अफसर विचार कर रहे हंै। बताया जाता है कि बर्ड वॉचिंग व पर्यटन की दृष्टि से सिटी फॉरेस्ट में दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिलेंगे। सिटी फॉरेस्ट को नेचुरल लुक देने के लिये भी वन विभाग के अफसर कार्ययोजना तैयार की गई है। सिटी फॉरेस्ट में राष्ट्रीय पक्षी मोर से लेकर राजकीय पक्षी दूधराज को रखने का प्लान तैयार किया गया है। जिले में मोरों की संख्या अधिक है, जो सामान्य रूप से दिख जाते हैं। वन अधिकारियों का दावा है कि सिटी फॉरेस्ट में पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिलेंगी। इस साल हुई गणना की जानकारी से भी वन अफसर पंक्षियों की जिले में मौजूदगी का पता लगा रहे हैं।

जंगल में पाई गई दुर्लभ प्रजातियां
पिछले दिनों वन्य प्राणियों की गणना से यह बात सामने आई है कि सिंगरौली जिले के जंगल में पक्षियों की 10 दुर्लभ प्रजातियां पाई गई हैं। इनमें इंडियन पित्ता (नौरंगा), बॉर्न स्वालो, ग्रे हॉर्नबिल, कॉमन वुड श्राइक, ट्रिकल ब्लू फ्लाई कैचर, कॉमन इओरा, गोल्डन ओरियल, बाउन फिश ईगल आउन, गिद्द, ब्रस्टिड मुनिया और नाइट जार प्रजाति के पक्षी जिले के जंगल में मौजूद हंै। यदि पक्षियों का संरक्षण किया जाये तो इनके जरिये जिले की पहचान बन जायेगी। 

ईकोलॉजिकल सिस्टम होगा तैयार
सिटी फॉरेस्ट में पक्षियों की संख्या बढ़ाने और उन्हें यहां बसाने के लिए ईकोलॉजिकल सिस्टम तैयार किया जायेगा। इसके लिए वन विभाग ने छायादार, फलदार और फूलदार पौधों को सिटी फॉरेस्ट में रोपे जायेगा। पक्षियों को भोजन और छांव के साथ पीने का साफ पानी मिल सके, इसके लिए गर्मियों में करीब डेढ़ हजार सकोरे पेड़ों पर लगाए जायेंगे, ताकि दाना-पानी मिलने पर पक्षी अपनी लाइफ सर्किल यहीं बना लें और पूरी तरह बस जायें। यहां से वापस ही न जायें। इसी ईकोलॉजिकल सिस्टम की वजह से विभिन्न प्रजातियों के पक्षी सिटी फॉरेस्ट के जंगल में खुद खिंचे चले आयेंगे।

इनका कहना है
सिटी फॉरेस्ट की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद कार्य शुरू हो जायेगा। उम्मीद है कि नये वित्तीय वर्ष में सिटी फॉरेस्ट का कार्य शुरू हो जायेगा।
विजय सिंह, डीएफओ

Created On :   3 Oct 2018 8:15 AM GMT

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