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सरकार पर 5 लाख का कॉस्ट, सुगम्य भारत अभियान की दी झूठी जानकारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने दिव्यांगों को सार्वजनिक स्थलों, कार्यालयों और अन्य जगहों पर पर्याप्त सुविधाएं देने के लिहाज से वर्ष-2015 से "सुगम्य भारत अभियान" की शुरुआत की है। इस अभियान से संबंधित झूठी जानकारी देने के कारण बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। साथ ही सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग के प्रधान सचिव पर 5 लाख रुपए की कॉस्ट लगा दी है।
पिछले बयान से पलट गई सरकार
दरअसल, इंद्रधनु सामाजिक संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दिव्यांगों के लिए सार्वजनिक स्थलों पर पर्याप्त सुविधाओं का मुद्दा उठाया था। मामले में पूर्व में राज्य सरकार ने शपथ-पत्र दिया था कि उन्होंने नागपुर के 51 शासकीय कार्यालयों में से 36 में दिव्यांगों के लिए सुगम सुविधाएं उपलब्ध करा दी हैं, 11 में सुविधाएं उपलब्ध कराना बाकी है, लेकिन बुधवार को हुई सुनवाई मंे सरकार अपने पिछले बयान से पलट गई। सरकार ने कोर्ट को बताया कि अभी भी नागपुर की 24 इमारतों में सुविधाएं उपलब्ध कराना बाकी है। इस पर नाराज कोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ा और 5 लाख की काॅस्ट भी लगा दी।
यह है मामला
सामाजिक संगठन इंद्रधनु ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका मंे बताया है कि राज्य में दिव्यागों के लिए कई जगहों पर विशेष सुविधाएं नहीं होने से उन्हें चलने-फिरने मंे खासी दिक्कतें आती हैं। यहां तक कि सरकारी कार्यालयों मंे भी दिव्यांगों के लिए कोई ठोस बंदोबस्त नहीं है। यही हाल डाकघरों में भी है, जहां दिव्यांगों के लिए जरूरी सुविधाओं का अभाव है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया था कि डाकघरों में दिव्यांगों के लिए रैंप, हैंडरेल भी नहीं है। इसी याचिका में अन्य कार्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर अपूर्ण सुविधाओं का विषय भी उठाया गया है।
पहले कहा था- नागपुर के 51 शासकीय कार्यालयों में से 36 में दिव्यांगों के लिए सुगम सुविधाएं उपलब्ध करा दी हैं, 11 में सुविधाएं उपलब्ध कराना बाकी है।
और अब कहा- अभी भी नागपुर की 24 इमारतों में सुविधाएं उपलब्ध कराना बाकी है, इस पर कोर्ट हुआ नाराज
Created On :   18 Oct 2018 3:16 PM IST