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दरवाजे हवा में उड़े और टैंक धंस गए, समग्र स्वच्छता अभियान के शौचालय एक साल में ही कंडम

डिजिटल डेस्क, बिछुआ। आदिवासी अंचल बिछुआ के गांवों में समग्र स्वच्छता अभियान के तहत बनाए गए शौचालयों की दशा ने जिले के ओडीएफ घोषित किए जाने पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। यहां अधिकांश गांवों में लोग मजबूरन खुले मैदान में शौच के लिए जा रहे हैं। दरअसल यहां सरकारी योजना के तहत बनाए गए शौचालय एक साल में ही कंडम हो गए हैं। कहीं दरवाजे और छत हवा से उड़ गए तो कहीं शौचालय के साथ बनाए गए टैंक बारिश में ही धंस गए।
सरकार ने ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत के बाद जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया लेकिन हालात में आंशिक बदलाव ही नजर आ रहा है। साल भर पहले बने करोड़ों रुपए के लागत से शौचालय अनुपयोगी साबित हो चुके हैं। जनपद पंचायत क्षेत्र में अभी तक 889 शौचालयों के निर्माण की राशि का भुगतान नहीं हो पाया है। इधर शौचालय का निर्माण कराने वाले सरपंच सचिव खुद कर्जदार होकर मुंह छिपाते फिर रहे हैं। जनपद पंचायत बिछुआ की ग्राम पंचायत पनियारी के जामलापानी और पालातरा गांव में भास्कर टीम ने मैदानी स्तर पर जायजा लिया तो कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए।
886 शौचालयों का नहीं हुआ भुगतान
जामलापानी और पालातरा गांव के लगभग 150 परिवारों ने लगभग एक साल पहले योजना के तहत शौचालय बनवाए। कुछ का निर्माण हितग्राहियों ने खुद ही कर लिया तो कुछ जगह सरपंच सचिव के माध्यम से निर्माण हुआ। इसके लिए निर्माण सामग्री उधार ली गई। जनपद पंचायत से 886 हितग्राहियों के खातों में राशि अभी तक नहीं पहुंची है। इसमें पनियारी गांव के 88 हितग्राही भी शामिल हैं।
दरवाजे की जगह लगाई फट्टी
ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच सचिव द्वारा बेहद घटिया निर्माण कराया गया। शौचालय में लगे दरवाजे हवा में उड़ गए तो वही टैंक धंसने से शौचालय अनुपयोगी हो गए हैं। ग्रामीण सुमरलाल, बुध्दुलाल और अनकलाल ने बताया कि सभी शौचालय खराब बने थे जिनका उपयोग ही नहीं हो पाया। पंचायत वालों ने तो कुछ जगह दरवाजे के स्थान पर फट्टी का परदा लगा दिया था। गांवों में 95 प्रतिशत लोग फिर से खुले में शौच के लिए जा रहे हैं।
बेस लेवल सर्वे बना मुसीबत
वर्ष 2012 में भारत सरकार द्वारा बेस लेवल सर्वे कराया गया था जिसमें शौचालय विहीन परिवारों ने भी शौचालय होने की जानकारी दी थी। इधर समग्र स्वच्छता के सर्वे में वही हितग्राही शौचालय विहीन बताया गया। प्रशासनिक स्तर पर बीएलए सर्वे शौचयल की राशि आवंटन में बाधा बना हुआ है। इस मामले में राशि आवंटन न होने को लेकर क्षेत्रीय विधायक पं रमेश दुबे द्वारा तीन बार विधानसभा में उठाया जा चुका है।
शौचालय निर्माण की राशि का भुगतान बाकी है जिसकी मांग प्रशासन से की गई है। ओडीएफ को निरंतर कायम रखने के लिए जनपद स्तर से प्रेरक नियुक्त कर निगरानी रखी जा रही है।
सुश्री दीप्ती यादव सीईओ, जनपद पंचायत बिछुआ




Created On :   19 April 2018 5:18 PM IST