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किन्नरों के साथ न हो अपराधियों जैसा बर्तावः हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि किन्नरों के साथ अपराधी की तरह सलूक न किया जाए। वे भी इस देश के नागरिक हैं। वे जहां चाहे वहां की यात्रा कर सकते हैं और रह सकते हैं। आखिर किन्नर को कैसे मुंबई के बाहर जाने के लिए कहा जा सकता है। पुलिस को उन्हें सुरक्षा देनी चाहिए। हाईकोर्ट ने एक किन्नर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। याचिका में किन्नर ने दावा किया है कि उसके अभिभावक उस पर मुंबई छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। लिहाजा वह अपने अभिभावक से अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित है। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि किन्नरों के साथ अपराधी जैसा सलूक न किया जाए। वे भी इस देश के नागरिक है। यह कहते हुए खंडपीठ ने पुलिस को याचिकाकर्ता किन्नर को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के वकील विजय हिरेमठ ने कहा कि मेरे मुवक्किल अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ मुंबई आए हैं। इसलिए उनके घरवाले पुलिस की मदद से मेरे मुवक्किल पर नजर रखे हुए। पुलिस की मदद से अभिभावकों ने मेरे मुवक्किल का पता लगा लिया है। मेरे मुवक्किल का फोन भी टेप हो रहा है। 23 वर्षीय मेरे मुवक्किल कोरियोग्राफर हैं। वे पहली बार जब मुंबई आए थे तो उनके घरवाले पुलिस की मदद से उन्हें वापस ले गए थे। अब दोबारा फिर मेरे मुवक्किल को परेशान किया जा रहा है। मेरे मुवक्किल पर अपनी लैंगिक पहचान व रुझान बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। जो एक व्यक्ति की गरिमा के विपरीत है। इससे पहले सरकारी वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को लेकर मैसूर में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसलिए पुलिस याचिकाकर्ता का पता लगा रही है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताकोई अपराधी नहीं है। उसे कही पर भी आने जाने का अधिकार है। क्या मुंबई पुलिस इस मामले में कर्नाटक पुलिस के आदेशों का पालन करेंगी। यदि याचिकाकर्ता को कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई आठ अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है और पुलिस को याचिकाकर्ता को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है।
Created On :   17 July 2021 1:42 PM GMT