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ऐतिहासिक कचारगढ़ की यात्रा हुई रद्द, कोरोना के चलते नहीं मिली परमिशन

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। गोंदिया जिले के कचारगढ़ में प्रति वर्ष लगने वाली कचारगढ़ यात्रा इस बार कोरोना के चलते रद्द कर दी गई है। हालांकि श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए द्वार खुले रहेंगे। उल्लेखनीय है कि गोंदिया जिले के कचारगढ़ में एशिया की सबसे बड़ी प्राकृतिक गुफा है। इस गुफा को आदिवासी गोंड समाज का उगम स्थल कहा जाता है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश की सीमा इस स्थल से जुड़ी है। किवंदती है कि गोंडी धर्म की स्थापना पारी कोपार लिंगो ने 5 हजार वर्ष पूर्व की थी। इस गुफा में पूर्वज तथा आदिवासी के धर्म संस्थापक पारी कोपार लिंगो व काली कंकाली मां के दर्शन होते हैं।
धर्मगुरू पाहंदी पारी कोपार लिंगो ने इसी स्थल से धर्म का प्रचार शुरू किया था। इसलिए इस स्थल को आदिवासियों का श्रद्धास्थल कहा जाता है। यहां पर यात्रा की शुरूआत 1980 से हुई। देश के लगभग 3 लाख से अधिक आदिवासी श्रद्धालु कचारगढ़ गुफा में पहुंचकर अपने धर्म गुरू के दर्शन करते हैं। गुफा 518 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। गुफा की ऊंचाई 94 मीटर है और गुफा का द्वार 25 मीटर का है, जो प्राकृतिक सौंदर्य से सजा हुआ है। इस वर्ष 25 फरवरी से 1 मार्च तक कचारगढ़ यात्रा शुरू होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए इस यात्रा को रद्द कर दिया गया है। इस तरह की जानकारी कचारगढ़ ट्रस्ट की ओर से दी गई है। हालांकि श्रद्धालुओं के लिए 1 मार्च तक श्रद्धास्थल को दर्शन के लिए खुला रखा जाएगा। जिसमें शासन द्वारा दिए गए कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाएगा।
महापूजा का आयोजन
कोरोना के कारण इस वर्ष यात्रा रद्द कर दी गई है लेकिन श्रद्धालुओं के लिए महापूजा रखी गई है। जिसमें कोरोना के नियमों का पालन करने की सूचनाएं दी जा रही है इस दौरान सांस्कृतिक, अधिवेशन, महासम्मेलन जैसे कार्यक्रम नहीं होंगे। महापूजा के लिए आने वाले सेनेटाइजर, मास्क व शासन के निर्देशों का पालन करें। - दुर्गाप्रसाद कोकोडे, अध्यक्ष कचारगढ़ ट्रस्ट, सालेकसा, जि. गोंदिया
Created On :   16 Feb 2021 3:10 PM IST