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साइकिल से वाघा बॉर्डर तक 47 दिन में तय किया सफर, किया जनजागरण

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेहनत और लगन से इंसान अपनी मंजिल पा ही लेता है । यह बात एक बार फिर शहर के युवाओं ने साबित कर दिखाया। उन्होने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हम 21 अक्टूबर 2018 को शहर से निकले। उद्देश्य था कि 7 नवंबर दिवाली के दिन वाघा बॉर्डर पहुंचना है। सेना के जवानों के साथ मिलकर दिवाली मनानी थी। नागपुर से वाघा बॉर्डर और वाघा बॉर्डर से नागपुर तक लगभग 5000 किमी की दूरी साइकिल से तय करने वाले रितेश भोयर ने यह बात कही। रितेश ने बताया कि यह एक अवेयरनेस प्रोग्राम था, जिसमें साइकिल से दूरी तक करने का उद्देश्य आमजन को नशामुक्ति, पर्यावरण के प्रति जागरूक करना था। हमने यह यात्रा 8 दिसंबर को पूरी की।
नागपुर में आते ही शहर की कई संस्थाओं ने हमें सम्मानित भी किया। साइकिल यात्राा को क्रीड़ा भारती ने स्पॉन्सर किया था। शहर के युवा साइक्लिस्ट रितेश भोयर और साहिल धोगड़े से चर्चा के दौरान उन्होंने अपने अनुभवों को शेयर किया। साइकिल यात्रा के दौरान नशामुक्ति, भारतीय सेना में जाने के लिए युवाओं को प्रेरणा, पर्यावरण संरक्षण आदि का संदेश भी दिया। लगभग 47 दिन की यात्रा में हम रोज 125 से 150 किमी की दूरी तय करते थे। इतनी लंबी दूरी तय करने में हमें बहुत सारी बातें सीखने के लिए मिलीं। अलग-अलग राज्य की संस्कृति से परिचय हुआ तथा वहां के स्वादिष्ट व्यंजनों का भी स्वाद मिला।
जब सैनिकों के साथ मनाई दिवाली
हम 7 नवंबर को वाघा बॉर्डर पहुंचे और सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई। जिन लोगों को दिवाली पर छुट्टी नहीं मिली थी, वे लोग हमसे मिलकर बहुत खुश हुए। उनमें कई विदर्भ के भी थे। उस दिन खुशी के कारण हमारी आंखों में आंसू आ गए। सैनिक मातृभूमि और देश की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। साइकिल यात्रा के दौरान हमने युवाओं को सेना में भर्ती होने का संदेश भी दिया।
रास्ते में आईं बाधा
साइकिल से यह हमारी पहली यात्रा थी। इस दौरान हमें बहुत सारी अड़चनें भी आईं, लेकिन हमें अपनी मंजिल पाना था, इसलिए हार नहीं मानी। आगे बढ़ते गए। हमारे मन में चंबल के लोगों को लेकर कई भ्रांतियां डाल दी गई थीं, लेकिन जब उन लोगों से मिले, तो सारी भ्रांतियां दूर हो गईं। सभी बहुत ही सपोर्टिव नेचर के थे। साइकिलिंग सनलाइट में ही करते थे। जब रास्ता समझ में नहीं आता था, तो राहगीरों से पूछते थे। इस दौरान सभी ने हमारी मदद भी की। दिल्ली में प्रदूषण से सर्दी-खांसी भी हुई।
Created On :   27 Dec 2018 3:12 PM IST