मुंबई के सरकारी अस्पताल में हो सकेगा ‘स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी’ का इलाज

Treatment of Spinal Muscular Atrophy can be done in Government Hospital in Mumbai
 मुंबई के सरकारी अस्पताल में हो सकेगा ‘स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी’ का इलाज
 मुंबई के सरकारी अस्पताल में हो सकेगा ‘स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी’ का इलाज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। छोटे बच्चों में पाई जाने वाले दुर्लभ बीमारी ‘स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी (एसएमए)’ का इलाज अब मुंबई मनपा के नायर अस्पताल में हो सकेगा। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विश्वास जताते हुए कहा कि इस दुर्लभ बीमारी के इलाज की सुविधा से मरीजों को नया जीवन मिल सकेगा। 16 करोड़ के इजेक्शन के बाद भी जान गंवाने वाली पुणे की वेदिका शिंदे इसी रोग से पीड़ित थी। 

बुधवार को मुख्यमंत्री ने टोपीवाला राष्ट्रीय चिकित्सा महाविद्यालय और बाई यमुनाबाई लक्ष्मण नायर अस्पताल के शताब्दी महोत्सव का शुभारंभ किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी बीमारी के इलाज की परियोजना और ‘जीनोम सिक्वेंसिंग लैब’ का उद्धाटन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दुर्लभ बीमारी एसएमए से छोटे बच्चों को बचाने की जरूरत है। इस बीमारी के इलाज में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। पुणे में इस बीमारी से ग्रसित बच्ची वेदिका शिंदे का गत दिनों निधन हो गया है। वेदिका को 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन दिया गया था लेकिन उनकी जान बचाई नहीं जा सकेगी।

उन्होंने कहा कि भविष्य में इस बीमारी से बच्चों की मौत न हो। इसके लिए मुंबई मनपा के डॉक्टर प्रयास कर रहे हैं। इस बीमारी के इलाज के लिए दवाई भारत में उपलब्ध कराने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अमेरिका की एक संस्था की तरफ से इस बीमारी के इलाज में उपयोगी इंजेक्शन मरीजों को मुफ्त में दिया जाएगा। इससे फिलहाल नायर अस्पताल के 17 मरीजों का लाभ मिल सकेगा। इस बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग लैब शुरू होने से कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को बल प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना के अधिक मरीजों वाले क्षेत्रों में वायरस की जीनोम श्रृखला का पता लगाना आवश्यक होता है। मुंबई मनपा ने सीएसआर निधि से लैब को तैयार किया है। इससे कोरोना के मरीजों के नमूनों की जांच करके इलाज में गति मिल सकेगी। 

चार दिन में 384 नमूनों को हो सकती है जीनोम सिक्वेंसिंग जांच 
मुंबई मनपा को अमेरिका के इलुम्निया कंपनी ने अमेरिका के अल्ब्राईट स्टोनब्रिज ग्रुप (एएसजी- बोस्टन) संस्था के माध्यम से 6 करोड़ 40 लाख रुपए कीमत वाली दो जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन दान में दिया है। इसके अलावा एटीई चंद्रा फाउंडेशन ने मशीन और उसके द्वारा होने वाली जांच के लिए लगभग 4 करोड़ रुपए की मदद की है। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन द्वारा एक बार में 384 नमूनों की जांच हो सकती है। इसका चिकित्सा निष्कर्ष 4 दिनों के भीतर मिल सकता है। 

स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी के इलाज में आता है करोड़ों का खर्च
स्पाइनल मस्क्युलर ऐट्रोफी बच्चों में पाया जाने वाला एक रोग है। इससे पीड़ित बच्चे में स्नायु विकसित नहीं हो पाता। इसके परिमाण स्वरूप बीमारी से ग्रसित बच्चे विकलांग हो जाते हैं अथवा उनकी मौत हो जाती है। अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित गैर सरकारी संस्था डायरेक्ट रिलीफ ने मुंबई मनपा के नायर अस्पताल को एसएमए मरीजों के इलाज के लिए मदद दी है। इस बीमारी से ग्रसित 17 मरीजों का चयन अतंरराष्ट्रीय चिकित्सा समिति ने किया है। इन 17 मरीजों के इलाज के खर्च का वहन अमेरिका की यह संस्था करेगी। इस बीमारी के इलाज के लिए उपयोगी ‘स्पिनराजा’ इंजेक्शन की एक खुराक की कीमत 87 लाख रुपए है।  पहले साल लगभग 6 करोड़ रुपए और फिर आगे से प्रत्येक वर्ष 3 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च करना पड़ता है।  
 

Created On :   4 Aug 2021 6:58 PM IST

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