जीबा तकनीक से पौधरोपण के बाद नहीं सूखेंगे पेड़ !

Tree will not dry after planting with Jiba technology
जीबा तकनीक से पौधरोपण के बाद नहीं सूखेंगे पेड़ !
जीबा तकनीक से पौधरोपण के बाद नहीं सूखेंगे पेड़ !

टीम डिजिटल, मुंबई। सालाना वन महोत्सव के बाद पौधों की देखभाल न होने से ज्यादातर पौधे पेड़ बनने से पहले ही दम तोड़ देते हैं, लेकिन यदि जीबा नाम की तकनीक का इस्तेमाल सफल रहा, तो इसके प्रयोग के बाद पौधों के सूखने की आशंका बहुत कम रह जाएगी। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना जिले में इसका प्रयोग किया जा रहा है, अगर यह सफल हुई तो पौधरोपण और कृषि के लिए वरदान साबित होगी। पर्यावरण के लिए काम करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्थाओं में से एक वर्ल्ड वाइड लाइफ फंड (WWF) ने इस तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है।

WWF के क्षेत्रीय अधिकारी मुकेश त्रिपाठी ने बताया कि फिलहाल कृषि विज्ञान केंद्र जालना के साथ मिलकर टेस्ट किया जा रहा है। जीबा तकनीक की मदद से चार हजार पेड़ लगाए जाएंगे।  इसके बाद अगले छह महीनों तक इसके जीवन दर, विकास, फैलाव आदि का अध्ययन किया जाएगा। अगर प्रयोग सफल रहा तो यह पर्यावरण के लिहाज से बेहद कारगर साबित होगा। इससे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में हरियाली और जलस्तर बढ़ाया जा सकेगा। पेड़ लगाने के लिए जालना के पांच गांवों का चयन किया गया है। शनिवार को इसकी शुरुआत नंदापुर गांव से हुई जहां नीम और गुलमोहर जैसे पौधे लगाए गए। इसके अलावा करीब एक हजार पेड़ सामान्य पद्धति से भी लगाए जाएंगे और दोनों पेड़ों के विकास में हुए अंतर का भी विश्लेषण किया जाएगा। यह तकनीक सफल रही तो सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी।

क्या है जीबा तकनीक
कृषि क्षेत्र में काम करने वाली भारतीय कंपनी यूपीएल ने मक्के के स्टार्च से जीबा नाम का कण बनाया है। इसे पौधे या बीज के साथ जमीन में डाल दिया जाता है। जीबा अपने वजन का करीब 400 फीसदी जल और पोषक तत्व सोख लेता है। दावा है कि जब पेड़ों को जरूरत होती है तो जीबा पानी और पोषकतत्व उन तक पहुंचा देता है। इससे पेड़ के जिंदा और स्वस्थ रहने की क्षमता बढ़ जाती है। खासकर जिन पेड़ों की नियमित देखभाल करने वाला कोई नहीं होता उन्हें बचाने के लिए यह असरकारक साबित होगा।

कृषि के लिए भी हो सकता है फायदेमंद
देश में 70 फीसदी खेती वर्षा पर निर्भर है। ऐसे में जीबा तकनीक फसलों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है। सूखे के साथ साथ बिजली कटौती, ट्रांसफार्मर खराब होने, टैंकर उपलब्ध न होने जैसी समस्याओं से निपटने में भी किसानों को मदद मिलेगी।

Created On :   2 July 2017 9:29 PM IST

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