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आदिवासी किसान अब फल और सब्जियों का उत्पादन कर सुधारेंगे अपनी दशा

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली । प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में कुपोषण का कई वर्षों से कहर जारी है। स्वास्थ्य विभाग समेत महिला एवं बाल विकास विभाग कुपोषण के नियंत्रण में लगातार कार्य कर रहा है, लेकिन कुपोषण के प्रमाण में रत्तीभर कमी नहीं देखी गई। नतीजा यह है कि, प्रति वर्ष सैकड़ों की संख्या मासूम कुपोषण की चपेट में आकर मौत का ग्रास बन रहे हंै। स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक नक्सलग्रस्त गड़चिरोली समेत प्रदेश के कुल 13 जिलों में 80 हजार से अधिक नौनिहाल कुपोषण की प्रथम श्रेणी में पाए गए हैं। इन बच्चों को कुपोषण की खाई से बाहर निकालने के लिए अब कृषि विभाग ने एक सराहनीय कदम बढ़ाए हैं।
विभाग ने एक योजना के तहत आदिवासी बच्चों को पोषाहार उपलब्ध कराने के अलावा आदिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने फल और सब्जियों की खेती की योजना आरंभ की है। योजना के तहत आदिवासी लाभार्थी को अनुदान भी देय किया गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने 15.40 लाख रुपए की निधि भी उपलब्ध कराई है। योजना के तहत आदिवासी किसान अपने खेतों में फल और सब्जियों का उत्पादन लेंगे। यह सब्यियां और फल कृषि विभाग के माध्यम से खरीदकर इन्हें सीधे आंगनवाड़ी और स्कूलों तक पहुंचाया जाएगा। यहीं पोषाहार कुपोषित बच्चों समेत गर्भवती माताओं को दिया जाएगा। कुल मिलाकर कुपोषित बालकों की संख्या में कमी लाने के साथ आदिवासियों को रोजगार दिलाने के लिए इस योजना का क्रियान्वयन किया गया है।
Created On :   25 Oct 2022 2:36 PM IST