महुए के फलों से आदिवासी बना रहे हर्बल साबुन

tribal people made Herbal soap from Mahoo fruits in chhindwara
महुए के फलों से आदिवासी बना रहे हर्बल साबुन
महुए के फलों से आदिवासी बना रहे हर्बल साबुन

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/तामिया। वनोपज महुआ के फल गुल्ली से अब आदिवासी साबुन का निर्माण कर रहे हैं। आदिवासी अंचल तामिया के हर्षदवारी गांव में आदिवासी उक्त हर्बल साबुन का निर्माण करने में जुटे हुए हैं। फिलहाल बतौर प्रशिक्षण साबुन का उत्पादन हो रहा है। हेंडमेड साबुन 1 घंटे में 20 टिकिया बन पा रही है। लागत 6 रुपए और बाजार में इसे 15 रुपए में बेचने की तैयारी है।  मध्यप्रदेश विज्ञान सभा ने आदिवासी महिलाओं को महुएं के तेल से साबुन बनाने की विधि का प्रशिक्षण प्रारंभ किया है। इस संस्था के कर्मचारी ने दक्षिण भारत के केरल साबुन बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तामिया के आदिवासी क्षेत्र हर्षदिवारी में महिलाओं के स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षण देकर सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वर्तमान में क्षेत्र की लगभग 60 महिलाएं यह प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं। भविष्य में लगभग 100 महिलाओं को इस तकनीक की पूर्ण जानकारी देकर उत्पादन प्रारंभ कराने की योजना बनाई गई है।
तेल निकालने की मशीन स्थापित
तामिया के जंगल में महुए के पेड़ बड़ी मात्रा में हैं। महुए के अलावा यहां गुल्ली का उत्पादन टनों से होता है। मई-जून माह में गुल्ली का फल आता है।  यह तेलीय बीज को सुखाकर छोटे व्यापारियों को बेच देते हैं। संस्था के कार्यकर्ताओं ने गुल्ली का तेल निकालने की मशीन भी हर्षदिवारी ग्राम में स्थापित कर रखी है। इससे ग्रामीण अपने ही वनोपज से तेल निकालकर साबुन निर्माण कर सकते हैं।
साबुन में क्या-क्या है
हेंडमेड साबुन में 50 प्रतिशत तक औषधीय गुण वाले गुल्ली का तेल होता है। इसके अलावा केमिकल का उपयोग भी किया जा रहा है। जिसमें कास्टिक सोडा, टेलकम पावडर, रोजिन, परफ्यूम और कलर का उपयोग शामिल है। सभी की मात्रा निर्धारित की गई है।
साबुन के साथ अन्य उत्पाद भी
हस्त निर्मित साबुन के साथ अन्य उत्पाद जैसे वाशिंग पावडर, फि नाइल लिक्विड सोप, नील  बर्तन वाश आदि बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे महिलाएं एक यूनिट के रूप में कई उत्पादों को एक साथ बाजार जोडऩे की प्रक्रिया अपना सकती है जिससे रोजगार में वृद्धि होगी।
जिला मुख्यालय में होगा काउंटर
आदिवासी महिलाओं के समूहों को गुल्ली के तेल से साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फिलहाल उत्पादन कम हो रहा है। उत्पादन बढ़ाने के साथ ही जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा में उक्त शॉप का काउंटर खोला जाएगा। जहां से उनका उत्पाद सभी के लिए सस्ते दामों में उपलब्ध होगा।
- आरआर राही, प्रभारी, मप्र विज्ञान सभा

 

Created On :   23 March 2018 1:32 PM IST

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