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यहां है ढाई हजार वर्ष पुराना शिलास्तंभ

डिजिटल डेस्क. चंद्रपुर । चंद्रपुर जिला ऐतिहासिक जिला रहा है। यहां के प्राचीन मंदिर, किला और नदियों का संगम भी है। एक खोज अभियान में ढाई हजार वर्ष पुराना शिलास्तंभ सामने आया है। जिले के नागभीड तहसील अंतर्गत रानपरसोड़ी गांव में यह ढाई हजार वर्ष पुराना शिलास्तंभ होने का दावा युवा प्राचीन-पुरातत्वीय अध्ययनकर्ता अमित भगत ने किया है।
महापाषाणयुग के हैं शिलालेख
युवा अध्ययनकर्ता भगत ने इसके पहले नागभीड तहसील में ही डोंगरगांव क्षेत्र में46 मेनहिर्स (शिला स्तंभ) की पहचान करायी थी। साथ ही इस परिसर में गहरा अध्ययन व उत्खनन की दरकार बतायी थी। जिसका संज्ञान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी लिया था। इस बीच अमित भगत ने नागभीड से ही 12 किमी पर पूर्व दिशा में स्थित रान परसोड़ी गांव में लौहयुग(महापाषाणयुग) काल के दो शिला स्तंभ, खोज अभियान के दौरान मिलने की जानकारी देते हुए इन शिला स्तंभों का कालखंड ईसा पूर्व 500 से ईसा पूर्व 200 वर्ष के दौरान का होने का दावा भगत ने किया है।
और भी अवशेष दफन होने का दावा
इन शिला स्तंभों के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया है कि बड़ा मेनहिर्स 2 मीटर उंचा व 1.65 मीटर चौड़ा है। उसकी घनता 36 सेमी है। इसके पास ही 50 फीट पर दूसरा शिला स्तंभ है। जो 0.75 मीटर उंचा व 0.45 मीटर चौड़ा है। उसकी घनता 27 सेमी है। लोग इन दोनों शीला स्तंभों को बरसों से मामा-भांजे के नाम से जानते हैं। इस परिसर में और भी 13 शिला स्तंभ मिले हैं। जिसमें पन्होली में 2, कोसंबी गवली व वासला में 3 व मिंडाला में 5 का समावेश है। इनमें वासला मक्ता गांव के पास एक पाषाण स्लैब दफन है। पन्होली गांव में जो स्तंभ है वह अहम है क्योंकि इसका संबंध मौर्यकाल से है। समीप के देवटेक व चिकमारा को मिलाकर एक बड़ा नगर हुआ करता था। इसकी पुष्टि देवटेक के शिलालेख में भी मिलती ऐसी जानकारी भगत ने दी। उन्होने स्थानीय नागरिकों के हवाले से बताया कि यहां पाषाणयुग के हथियार, लोहे के औजार, काले-लाल खपरैल व तांबे के सिक्के मिले हैं। उन्होंने कहा कि इस दृष्टि से मेरी राय अंतिम नहीं है बल्कि और अधिक सघन संशोधन की आवश्यकता है।
Created On :   10 March 2018 4:45 PM IST