छिंदवाड़ा: दो हजार करोड़ खर्च फिर भी खेतों में नहीं पहुंच पाया डेम का पानी

Two thousand crores of expenditure did not reach the fields yet Dame water in chhindwara
छिंदवाड़ा: दो हजार करोड़ खर्च फिर भी खेतों में नहीं पहुंच पाया डेम का पानी
छिंदवाड़ा: दो हजार करोड़ खर्च फिर भी खेतों में नहीं पहुंच पाया डेम का पानी

डिजिटल डेस्क  छिंदवाड़ा। पेंच परियोजना में अब तक करीब दो हजार करोड़ रुपया खर्च हो चुका है। कुल 25 सौ करोड़ के प्रोजेक्ट में करीब साढ़े 12 सौ करोड़ रुपए से बना माचागोरा बांध पिछले दो साल से लबालब है। नहरों का निर्माण पूरा नहीं हो पाने से बांध का पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है। नहरों के निर्माण पर लगभग 12 सौ करोड़ खर्च होने हैं। जिसमें 722 करोड़ अब तक खर्च किए जा चुके हैं। बावजूद इसके इस रबी सीजन में 85 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध पेंच परियोजना से बमुश्किल 17 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित हो पा रही है। इसमें छिंदवाड़ा जिले का करीब 5 हजार और सिवनी जिले का लगभग 12 हजार हेक्टेयर रकबा शामिल है।
अब तक 50 फीसदी ही हो पाया नहरों का निर्माण
पेंच परियोजना की 30 किमी लंबी दायीं तट नहर का 90 फीसदी और  बायीं तट नहर का 70 फीसदी निर्माण हो पाया है। दायीं और बायीं तट नहर समेत करीब 700 किमी नहर का निर्माण परियोजना में होना है। बताया जा रहा है कि अब तक 50 फीसदी ही नहरें बन पाई हैं। निर्माण के बावजूद कई  डिस्ट्रीब्यूटरी व माइनर केनाल बड़ी नहरों से कनेक्ट नहीं हो पाई हैं।
अब जून 2019 का टारगेट
वर्ष 2013 से नहरों का निर्माण शुरू हुआ था। दो साल में ठेका कंपनियों को नहरों का निर्माण करना था। निर्माण की गति धीमी होने के बावजूद विभाग के बड़े अधिकारी कंपनियों पर मेहरबानी दिखाते रहे। तीन बार एक्सटेंशन दिया गया। इसके बाद भी नहरों का निर्माण गति नहीं पकड़ पाया। अब विभाग ने जून 2019 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
फिर भी निर्माण का ठौर नहीं
विभाग ने टेल व धमनिया डिस्ट्रीब्यूटरी का ठेका समाप्त करने बाद मेंटेना कंपनी को दोबारा मौका दिया है। करीब दो माह पहले कंपनी की वापसी हुई है, लेकिन काम अब तक शुरू नहीं हो सका है। वहीं नांदना और हरदुआ डिस्ट्रीब्यूटरी के बेलेंस वर्क के लिए अब भी ठेकेदार का इंतजार हो रहा है।
नहरों के निर्माण में देरी क्यों
पेंच परियोजना की अधिकांश नहरों का ठेका टर्न की के तहत दिया गया था। कंपनियों ने अधिकांश समय भू-अर्जन और ड्राइंग डिजाइन में ही बिता दिया।
कंपनियों को अनुबंध के अनुसार दो साल में नहरों का निर्माण पूरा करना था। तीन बार एक-एक साल की समय अवधि बढ़ाई गई। इसके बाद भी कंपनियां काम नहीं कर पाईं।
छह माह पहले विभाग ने एचईएस कंपनी का टेल धमनिया व नांदना और हरदुआ नहर का ठेका समाप्त कर दिया।
ठेका समाप्त करने के बाद बेलेंस वर्क निकालने व नए सिरे से उसकी  टेंडर प्रक्रिया की तैयारियों में लग गया।
अब पिछले तीन माह से विभाग बेलेंस वर्क के लिए टेंडर प्रक्रिया में जुटा हुआ है। दो-दो कॉल के बाद भी विभाग को ठेकेदार नहीं मिल पा रहे हैं।

 

Created On :   31 Jan 2018 5:29 PM IST

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