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अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ यूनिफॉर्म से होगी जवानों की रक्षा, पढ़ें पूरी खबर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जवानों की रक्षा करने अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ यूनिफार्म बनाया गया, जिसमें GPS चिप, हिडन कैमरा और ऑटो डिटेक्टर सेंसर रहेगा। देश की रक्षा करनेवाले जवानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दो युवा इंजीनियर्स ने वर्षों के अथक प्रयास के बाद अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ यूनिफॉर्म बनाया है। यह अाविष्कार यवतमाल के वणी निवासी व फिलहाल नागपुर में रह रहे आशुतोष अशोक महाजन एवं उनकी सहयोगी श्रुति गणेश नारनवरे निवासी नागपुर ने किया है। इस अत्याधुनिक बुलेटप्रूफ यूनिफॉर्म को पहननेवाले जवान के सुरक्षित रहने का दावा किया गया है। यूनिफॉर्म बुलेटप्रूफ होने के साथ-साथ इसमें उपरोक्त तीन मुख्य चीजों का समावेश किया गया है। तीनों चीजों से यूनिफॉर्म पहने हुए जवान की पूरी सुरक्षा होती है। इस यूनिफॉर्म को पहनने में जवान को भागने-दौड़ने या किसी प्रकार के मूवमेंट करने में कोई परेशानी नहीं होगी। घुटने, एलबो आदि आसानी से मुड़ सकेंगे।
बनाने लगे 16 महीने
मुंबई में हुए आतंकी हमले में जवानों की शहादत ने आशुतोष को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद से आसुतोष ने सोचा था कि सैनिकों के लिए कोई ऐसा यूनिफॉर्म हो, जिससे उसकी रक्षा हो सके। इस सोच पर काम शुरू किया। लगभग 15-16 माह में यह यूनिफॉर्म बनकर तैयार हुआ है। दोनों युवाओं ने इसे केंद्र सरकार को सौंपने का फैसला किया है। हमारे यवतमाल संवाददाता के अनुसार आशुतोष और श्रुति दोनों मध्यम परिवार से हैं। उनका प्रशिक्षण एक सामान्य रूप से हुआ है। उनका कहना है कि यह बुलेटप्रूफ गणवेश सेना के तीनों अंगों और पुलिस दल के लिए महत्वपूर्ण होगा। आशुतोष महाजन ने चिदंबरम रिसर्च इंस्टीट्यूट चेन्नई से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 2013 में वे नागपुर आए। मुंबई हमले के बाद से ही वे इस पर काम कर रहे थे। श्रुति ने नागपुर के ही इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन से इंजीनियरिंग किया है। वह भी इतने ही सालों से इस रिसर्च पर काम कर रही थीं।
ये हैं खूबियां
GPS सिस्टम के कारण जो जवान इसे पहने रहेंगे, उनकी करंट लोकेशन का पता चलेगा। उसी प्रकार ड्रेस की बटन में लगाए गए कैमरे से नियंत्रण कक्ष में आसपास के क्षेत्र दिखाई देंगे। यही नहीं, उसका रिकॉर्डिंग भी होगा। मेटल डिटेक्टर के कारण ढाई से तीन मीटर रेंज में बम या माइंस छिपाई गई होगी, तो उसका पता इस ड्रेस में लगे ऑटो डिटेक्ट सेंसर से लग जाएगा। यह ड्रेस 7 अगस्त को बनकर तैयार हो गई है। इसे बनाने में 35 हजार रुपए की लागत लगी है। इसमें ढाई मेगा पिक्सल का कैमरा लगा है। इस कारण संभावित खतरों व संकट में जवानों की सहायता करना मुमकिन हो पाएगा।
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Created On :   29 Aug 2018 4:20 PM IST