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कपड़े और किट सैनिटाइज करेगी अल्ट्रावायलेट यूनिट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के विश्वेशरैय्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (वीएनआईटी) ने एम्स को दो पीपीई अल्ट्रावायलेट सैनिटाइजेशन यूनिट सौंप दी है। इस यूनिट के जरिए चिकित्सकों, मेडिकल स्टाफ, मरीजों और अन्य कर्मचारियों के कपड़े, पीपीई किट, मास्क, ग्लब्स सैनिटाइज किए जा सकेंगे। फिलहाल इन कपड़ों को धोने पर कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस अल्ट्रावायलेट यूनिट में कपड़े, किट या अन्य वस्तुएं रखने से उन्हें पूरी तरह सैनिटाइज किया जा सकता है।
टेस्टिंग पूरी की गई
वीएनआईटी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसरों और इंजीनियरों ने मिल कर महज 8 दिनों में ये यूनिट्स तैयार की है। बीते 25 अप्रैल को इस पर काम शुरू करके 4 मई को इसे पूरा कर लिया गया था। हाल ही में संस्था निदेशक डॉ. प्रमोद पडोले ने एम्स निदेशक डॉ. विभा दत्ता को यूनिट्स सौंपी। इस दौरान दोनों संस्थाओं ने एमओयू भी साइन किया। वीएनआईटी के अनुसार इन यूनिट्स का संचालन बहुत आसान है और इनके निर्माण में ज्यादा खर्च भी नहीं होता। संस्थान के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. किशोर भुरचंदी, डॉ. प्रभात शर्मा और डॉ. दीप गुप्ता ने यह मॉडल डिजाइन किया है। विभाग के प्रयोगशाला में प्रो. सुधीर कुमार सिंह और श्रवण कुमार ने हिंडाल्को के अधिकारी रवीश कुमार वर्मा और मनोज होते की मदद से इसकी टेस्टिंग पूरी की। एमओयू साइन करने के दौरान प्रो.वीबी.बोरघाटे, प्रो.जतिन भट, प्रो.के.एम. भुरचंदी, डॉ.मृणाल पाठक, संजीय चौधरी और डॉ.प्रथमेश कांबले उपस्थित थे।
इसके पूर्व वेंटिलेटर्स डिजाइन कर चुके हैं
इसके पूर्व वीएनआईटी ने शहर के मेयो अस्पताल के लिए स्प्लिटर्स और रिस्ट्रिक्टर्स तैयार किए हैं, जिसकी मदद से एक वेंटिलेटर पर दो मरीजों को रखा जा सकता है। कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद स्थिति विकट हो सकती है। इसी के मद्देनजर नागपुर में वेंटिलेटर्स की कमी से चिंतित मेयो प्रशासन की विनती पर वीएनआईटी ने हाल ही में यह तकनीक विकसित की थी। इस प्रोटोटाइप में चार मरीजों के इस्तेमाल लायक तंत्र लगे हैं। लेकिन चिकित्सकों के अनुसार चार मरीजों के फेफड़े अलग-अलग तरीके से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में दो मिलते-जुलते क्षतिपूर्ण फेफड़ों वाले मरीजों के लिए इसका उपयोग संभव है।
Created On :   7 May 2020 4:35 PM IST