नाबालिग भतीजी का यौन उत्पीड़न करने वाले चाचा को जमानत से इंकार 

Uncle who sexually assaulted minor niece denied bail
 नाबालिग भतीजी का यौन उत्पीड़न करने वाले चाचा को जमानत से इंकार 
आरोपी पर है गंभीर आरोप  नाबालिग भतीजी का यौन उत्पीड़न करने वाले चाचा को जमानत से इंकार 

डिजिटल डेस्क , मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि डिजिटल तकनीक का व्यापक इस्तेमाल बच्चों के लिए खतरा बन गया है। यौन हिंसा की कोई सीमा नहीं होती है। यह किसी भी देश व समाज में हो सकती हैं किंतु दुर्भाग्यवश हम समाज में ऐसा वातावरण तैयार करने में विफल रहे हैं, जहां बच्चों के साथ रहनेवाले अभिभावक शिक्षक व वयस्क उनके साथ होनेवाले यौन दुर्व्यवहार के संकेतों को समझ सके। ताकि बच्चे को समय पर सुरक्षा व देखरेख मिल सके। हाईकोर्ट ने यह बात कहते हुए अपनी 17 वर्षीय भतीजी के यौन उत्पीड़न व उसे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले आरोपी चाचा को जमानत देने से इनकार कर दिया है।  यौन उत्पीड़न की शिकार भतीजी ने 6 सितंबर 2020 को पुणे की एक बहुमंजिला इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

पीड़ित लड़की की मां ने इस मामले को लेकर पुणे के भोसरी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायत में दावा किया गया है कि आरोपी नाबालिग पीड़िता को मोबाइल फोन पर अनुचित संदेश भेज कर परेशान करता था। आत्महत्या से पहले लिखे पत्र में पीड़िता ने अपने चाचा पर आरोप लगाया था कि वह उसके अंगों को अनुचित तरीके से स्पर्श करता था। हालांकि पीड़िता ने अपने चाचा के बर्ताव की जानकारी अपने माता पिता को नहीं दी थी। इस बीच पीड़िता की दोस्त ने पूरे मामले की जानकारी पीड़िता की मां को दी। इस पर जब घर वालो ने पीड़िता से सवाल किया तो पीड़िता ने अपना फोन मां को पकड़ा दिया और इमारत की चौथी मंजिल से कूद गई।। न्यायमूर्ति भारती डागरे के सामने आरोपी के जमानत आवेदन कर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील ने दावा किया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी हैऔर आरोपपत्र भी दायर किया जा चुका है। इसलिए मेरे मुवक्किल को जमानत प्रदान की जाए।  सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी पर पॉक्सो कानून के तहत गंभीर आरोप है। इसलिए आरोपी को जमानत न दिया जाए।

मामले से जुड़े तथ्यों व आरोपी की ओर से पीड़िता को फोन पर भेजे गए संदेशों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले में जब कोई अपना करीबी शामिल होता है तो बच्चे अक्सर बात को छुपाते हैं। बच्चे समझते है कि इस मामले में उन्हें ही दोषी ठहराया जाएगा। इसका बच्चों के मनोविज्ञान पर गहरा असर पड़ता है। दुर्भाग्यवश हम समाज में ऐसा वातावरण तैयार करने में विफल रहे हैं, जहां बच्चों के साथ रहनेवाले अभिभावक शिक्षक व वयस्क उनके साथ होनेवाले यौन दुर्व्यवहार के संकेतों को समझ सके। ताकि बच्चे को समय पर सुरक्षा व देख रेख मिल सके। इस मामले में तो नाबालिग पीड़िता का चाचा शामिल है। जिसे पीड़िता अपने पिता के समान समझती थी। ऐसे में यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह मामले से जुड़े गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है। 
 

Created On :   18 Sept 2021 6:54 PM IST

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