जनहित याचिका की आड़ में निजी हित साधने वालों को कोर्ट ने लगाई फटकार

Under the guise of public interest litigation, the court reprimanded those who pursue private interests
जनहित याचिका की आड़ में निजी हित साधने वालों को कोर्ट ने लगाई फटकार
जनहित याचिका की आड़ में निजी हित साधने वालों को कोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जनहित के कई महत्वपूर्ण विषयों पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ जनहित याचिका के माध्यम से सुनवाई करती है, लेकिन कभी-कभी इन जनहित याचिकाओं की आड़ में कुछ पक्षकार निजी हित साधने का भी प्रयास करते हैं। ऐसे ही एक पक्षकार की मंशा भांप कर न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्या.अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने उसे जमकर फटकार लगाई। इतना ही नहीं, कोर्ट ने इस पक्षकार को सुनवाई में प्रतिबंधित भी कर दिया है। उक्त खंडपीठ में शहर के मेयो-मेडिकल व अन्य सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की कमी पर केंद्रित जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इसी जनहित याचिका में सी.एच.शर्मा भी पक्षकार हैं। 

मेयो-मेडिकल में सुविधाओं पर केंद्रित जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला
निरीक्षण में यह पाया : कुछ वर्ष पूर्व हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में एड.अनूप गिल्डा को न्यायालयीन मित्र नियुक्त किया था, तब कोर्ट ने शर्मा को आदेश दिए थे कि वे स्वयं इस मामले में कोई अर्जी दायर न करें, बल्कि न्यायालयीन मित्र को सूचना दें। लेकिन शर्मा इसके बाद भी सुनवाई में पक्षकार बने रहे। न्यायालयीन मित्र को सूचना दिए बगैर उन्होंने अपना वकील भी नियुक्त कर दिया। बुधवार को शर्मा के वकील एड.प्रतीक शर्मा ने एक चिकित्सक के संबंध में कोर्ट में शिकायत की। तब कोर्ट ने माना कि सी.एच.शर्मा इस याचिका में एक व्यक्ति विशेष को निशाना बना रहे हैं। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने शर्मा को इस याचिका से बतौर पक्षकार से हटा दिया। आगे उनके सुनवाई में शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

एमआरआई, अग्निसुरक्षा पर मांगा जवाब 
न्यायालयीन मित्र ने कोर्ट को बताया कि शहर के मेडिकल अस्पताल में बीते कुछ महीनों से एमआरआई मशीन बंद है। मरीजों को या तो मेयाे अस्पताल या फिर निजी अस्पताल जाकर एमआरआई करानी पड़ रही है। इसी तरह मेयो और मेडिकल में अग्निसुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं है। वर्ष 2016 में मनपा के अग्निशमन विभाग द्वारा ऑडिट में अस्पताल के लिए कुछ सिफारिशें की गई थी। इस पर अमल नहीं हुआ है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मामले में 30 जून तक जवाब मांगा है। 
 

Created On :   24 Jun 2021 8:38 AM GMT

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