'ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट' के तहत किसान बना रहे अनोखी राखियां

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'ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट' के तहत किसान बना रहे अनोखी राखियां

डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर में इन दिनों ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत किसान सब्जी के बीजों से राखी तैयार कर रहे है। ये विशेष राखियां ऑनलाइन भी मिल रही है।

दरअसल विदर्भ के किसानों और उनके परिवारों की मदद के लिए नगापुर की श्वेता भट्टड़ ने ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट शुरू किया। इसका उद्देश्य किसानों को घर बैठे रोजगार मुहैया करना है। किसान इसके तहत मैथी, पालक, अमलताश, राई, अंबाड़ी, चौलाई के बीजों की राखियां तैयार कर रहे है। बीजों से तैयार हो रही राखियां अपने आप में एक अलग पहचान बना रही है।

 

हर राखी पर देशी कपास बीज
श्वेता ने बताया कि पारडसिंगा गांव में रहने वाली नूतन द्विवेदी 4 गांवों में इस सूत को लेकर गई और वहां की 50 महिलाओं को राखी बनाने की ट्रेनिंग दी। करीब 50 हजार राखियां बनाई गईं और हर राखी पर देसी कपास का बीज लगाकर देशभर में बेचा गया। नूतन की इस कोशिश से जहां एक ओर इलाके की महिलाओं को रोजगार मिला, वहीं दूसरी ओर कई किसान देसी कपास को उगाने के लिए आगे आए।

 

देसी कपास उगाने के लिए प्रेरणा
श्वेता भट्टड़ किसानों को देसी कपास उगाने के लिए प्रेरित करती है। श्वेता का कहना है कि ये कपास यहां की जलवायु के हिसाब से तैयार होता है और इसमें कीड़े भी कम लगते हैं। इस कपास का इस्तेमाल हथकरघा उद्योग में काफी होता है। इस वजह से गांव के बुनकरों को भी रोजगार मिल जाता है। लोगों के बीच इसे लोकप्रिय बनाने के लिए श्वेता और उनकी टीम ने वर्धा के किसानों से कपास खरीदकर, वहीं के बुनकरों से इसका सूत बनवाया और उसे प्राकृतिक रंगों में रंगवाया। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट एक कम्युनिटी है। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट के साथ देश-विदेश के कई कलाकार जुड़े हुए हैं। यह प्रोजेक्ट छिंदवाड़ा के पारदसिंगा गांव के अलावा वर्धा और नागपुर में भी चल रहा है।

हर साल सैकड़ों किसान आत्महत्या कर रहे हैं और ज्यादातर मामलों में इसकी वजह होती है उन पर भारी भरकम कर्ज और रसायनों के ज्यादा इस्तेमाल से खराब होती जमीन। श्वेता ने इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया। नागपुर और दूसरी जगहों में रहने वाले ऐसे दोस्तों को अपने साथ जोड़ा। इन्हीं दोस्तों की मदद से श्वेता ने करीब 4 साल पहले ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट की नींव रखी।

श्वेता भट्टड़ का कहना है कि हम न किसी कंपनी से, न ही किसी एनजीओ से जुड़ना चाहते हैं। इसकी वजह यह है कि यहां न तो कोई मालिक है और न ही कोई नौकर। हम पर्यावरण और किसानों के लिए काम करते हैं। लोग हाइब्रिड बीज इस्तेमाल कर रहे हैं, जो वातावरण के साथ स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है,जबकि स्वदेशी बीज हर मायने में अच्छा है।

Created On :   21 July 2017 1:23 PM IST

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