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अधूरे प्रोजेक्ट्स व कृषि व्यवसाय पर मंडरा रहा खतरा, बढ़ी बेरोजगारी

डिजिटल डेस्क, भंडारा। पानी व खनिज की विपुलता प्राप्त भंडारा जिला आज भी विकास से पिछड़ा है। कृषि क्षेत्र के विकास हेतु जिले में सिंचाई प्रकल्प बनाए गए लेकिन अधूरे प्रोजेक्ट के चलते तय लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पाए। उधर मौजूदा उद्योग के वजूद पर भी खतरा है। जिले में खनिज, जंगलक्षेत्र, पानी की कमी नहीं है। बावजूद उद्योग को जनप्रतिनिधि जिले में शुरू कराने में नाकाम साबित हो रहे हैं। कृषि व्यवसाय भी नुकसान में है। भेल प्रकल्प भी उपेक्षा का शिकार हुआ है। इस कारणवश जिले के बेरोजगार रोजगार की तलाश में बड़े शहरों में पलायन कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जिले में उंगलियों पर गिनने लायक ही उद्योग है। जिसमें लाखनी तहसील के गड़ेगांव में हिंदूजा ग्रुप का अशोक लैलेंड कारखाना है। यहां भारी वाहन और वाहनों के पार्ट्स तैयार किए जाते है। हजारों नागरिकों को कारखाना प्रबंधन प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रोजगार देता है। फिर भी परप्रांतियों को ही रोजगार देने के आरोप लगाकर कारखाना प्रबंधन के विरोध में आंदोलन किए जाते हैं। भंडारा तहसील के जवाहरनगर में आयुध निर्माणी कारखाना है। साथ ही वरठी में सनफ्लैग आयर्न एन्ड स्टील, देव्हाडी में एलोरा पेपर मिल है। सहकार से शुरू शक्कर कारखाना केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के पूर्ति समूह ने अपने कब्जे में लिया। अभी वैनगंगा शुगर कारखाना उद्योग शुरू है। तुमसर रोड में मैग्नीज शुध्द करने वाला यूनिवर्सल फेरो कारखाना गत 10 वर्षों से बंद पड़ा है। कई बार यह कारखाना शुरू करने की मांग हुई। कर्मचारियों और कारखाना प्रबंधन के बीच न्यायालयीन संघर्ष चलता रहा किंतु कारखाना शुरू नहीं हुआ। 304 एकड़ में स्थित यह कारखना वैनगंगा नदी तट पर बसा है। कारखाने पर 250 करोड़ रुपए विद्युत बिल बकाया था। बीमार कारखाने की सूची से बाहर निकालने का प्रयास किया गया। बीमार उद्योगों के लिए केंद्र शासन द्वारा चलाई गई योजना का लाभ कारखाने को हुआ। फिर भी कारखाना शुरू नहीं हो सका।
जनप्रतिनिधि कारखाना शुरू करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई। पूर्व भारी उद्योग मंत्री प्रफुल पटेल ने लोकसभा के चुनाव दौरान लाखांदुर में ग्रोव्हर नैचरल नामक शक्कर कारखाना स्थापित किया। दो वर्ष तक यह कारखाना शुरू रहा। जिसके बाद यह कारखाना बंद पड़ गया। कारखाने में कार्यरत मजदूर पुन: बेरोजगार हो गए। गन्ना उत्पादक किसानों पर संकट आन पड़ा। भंडारा के भिलेवाडा में वीडिओकॉन कंपनी शुरू कर स्थानीय स्तर पर 10 से 15 हजार नागरिकों को रोजगार देने का आश्वासन दिया गया। यह केवल जुमला साबित हुआ। यहां इलेक्ट्रिक वस्तुओं के पार्ट्स तैयार किए जाते हैं।
जनप्रतिनिधि जिले में उद्योग लाने नाकाम
औद्योगिक क्षेत्र में जिला पिछडऩे के लिए राजनीतिक नकारात्मकता जिम्मेदार होने की चर्चा नागरिकों में रहती है। किसानों की दुर्दशा को लेकर राजनीति होती है। किंतु उनका पिछड़ापन दूर करने कोई ठोस नीति नहीं अपनायी जाती। किसान नुकसान और कर्ज के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। वहीं बेरोजगार रोजगार देने की मांग को लेकर सड़क पर उतर रहे है।जन प्रतिनिधियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
भेल को लेकर कोई निर्णय नहीं
पूर्व केंद्रीय मंत्री के प्रयासों से साकोली तहसील के मुंडीपार में सोलर प्लेट निर्माण करने का भारत हेवी इलेक्ट्रिक्स (भेल) कंपनी का भूमिपूजन किया गया। किसानों की सैकड़ों एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई। लेकिन वर्षों बाद भी प्रकल्प शुरू नहीं हुआ। यह केवल राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गया। सत्ताधारी भी इस पर कोई निर्णय नहीं ले सके।

Created On :   27 Dec 2018 12:24 PM IST