अनोखा RTO : यहां सवालों के जवाब देने पर ही मिल जाता है लाइसेंस

Unique RTO: License gets license only after answering questions
अनोखा RTO : यहां सवालों के जवाब देने पर ही मिल जाता है लाइसेंस
अनोखा RTO : यहां सवालों के जवाब देने पर ही मिल जाता है लाइसेंस

डिजिटल डेस्क,शहडोल। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में अव्यवस्थाएं इस कदर हावी है कि अगर आपको ड्राइविंग लाइसेंस चाहिए तो सिर्फ सवालों के जवाब दे दीजिए। आपको लाइसेंस मिल जाएगा। भले ही आपको गाड़ी चलाना न आता हो।

गौरतलब है कि लाइसेंस जारी करने के पहले अभ्यर्थी से मैदान पर गाड़ी चलवाकर देखी जाती है, लेकिन शहडोल में 4 सालों से सिर्फ मौखिक जांच से काम चलाया जा रहा है। यहां मैदान नहीं होने के चलते सीधे लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। हालांकि विभाग शासन से 3 एकड़ भूमि की मांग कर रहा है।

6 सही जवाब देना जरूरी
ड्रायविंग लायसेंस लेने के लिए परिवहन कार्यालय के पूछे गए 10 में से 6 सवालों के सही जवाब देने होते है। अगर सही जवाब होते है तो इसके बाद विभाग की अधिकारी उससे मैदान में वाहन चलवाकर उसकी दक्षता व कुशलता का परीक्षण करते है। यह प्रक्रिया पिछले 4 सालों से बंद पड़ी है। पहले कार्यालय में अभ्यर्थी से पूछताछ कर ही काम हो जाता था ,लेकिन अब दो सालों से टेबलेट का उपयोग किया जाने लगा है।

विभाग के पास मैदान नहीं

वाहनों के मैदानी परीक्षण के लिए पर्याप्त लंबाई-चौड़ाई का मैदान आवश्यक है, लेकिन आज तक परिवहन विभाग के पास मैदान नहीं है। गौरतलब है कि जब कार्यालय पुराने कलेक्ट्रेट में संचालित होता था तो पास के स्टेडियम का उपयोग कर लिया जाता था। अब बलपुरवा बस स्टैंड के पास हाइवे के किनारे एक किराए के भवन में दूसरे और तीसरे फ्लोर पर संचालित हो रहा है। जहां कमरे इतने सीमित और कम है कि कार्यालय का काम भी मुश्किल से हो पाता है। इसके अलावा कोई मैदान भी नहीं है।


नहीं होती जांच
जांच पड़ताल ने होने के कारण वाहन मालिक अपने सालों पुराने खराब हो चुके वाहन भी सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। वाहन चालक क्षमता से ज्यादा भार लोड कर चला रहे है। बसों में अभी तक न तो फस्र्ट ऐड बाक्स है और न इमरजेंसी गेट है। अगर इन वाहनों की जांच की जाए तो इन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा।

प्रभारी परिवहन अधिकारी रमा दुबे का कहना है कि विभाग के पास पहले जो स्क्वॉड की सुविधा थी वह काफी पहले समाप्त कर दी गई है। इसलिए पुलिस का सहयोग लेना पड़ता है। समय-समय पर वाहनों की जांच पड़ताल की जाती है। जो संसाधन उपलब्ध हैं उसी में कार्य किया जाता है और अपेक्षित सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है।
 

Created On :   30 July 2017 11:27 AM IST

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