नागपुर में अनधिकृत पैथालाजी लैबों की भरमार, 600 में से 70% अनधिकृत

Unofficial pathology labs are in nagpur,70% out of 600 are unauthorized
नागपुर में अनधिकृत पैथालाजी लैबों की भरमार, 600 में से 70% अनधिकृत
नागपुर में अनधिकृत पैथालाजी लैबों की भरमार, 600 में से 70% अनधिकृत

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  नागपुर में अनधिकृत पैथालाजी लैब की भरमार हो गई है। देखा जाए तो शहर समेत राज्य में बड़ी संख्या में पैथोलॉजी लैब अनधिकृत रूप से चलाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ प्रैक्टिस पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी (एमएपीपीएम) की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार, अधिकतर शहरों में अधिकृत और अनधिकृत रूप से चल रहे लैबों का 1 : 3 अनुपात है। यानी 30 फीसदी लैब अधिकृत और 70 फीसदी अनधिकृत हैं। 

मांगी गई थी जानकारी
एमएपीपीएम के अध्यक्ष डॉ. संदीप यादव के अनुसार, विभिन्न शहरों में संगठन के सर्वे के साथ-साथ स्थानीय महानगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग से भी शहर में काम कर रहे पैथोलॉजी लैब की जानकारी मांगी गई थी। उनके अनुसार, नागपुर में अनधिकृत रूप से काम कर रहे लैबों की संख्या 300 से 350 तक है। हालांकि नागपुर महानगरपालिका ने आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में शहर में काम कर रहे पैथोलॉजी लैबों की संख्या मात्र 200 बताई है। डॉ. यादव के अनुसार, यह कुल लैब का केवल 25 फीसदी है। इस बारे में मनपा के स्वास्थ्य अधिकारी सरिता कामदार का कहना है कि उन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है और उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। डॉ. यादव यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र में 70 फीसदी पैथोलॉजी लैब टेक्नीशियन चला रहे हैं, जबकि 2007 में बॉम्बे हाईकोर्ट और 2017 में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आ चुका है कि पैथोलॉजिस्ट ही जांच कर सकते हैं, टेक्नीशियन नहीं कर सकते हैं। 

मरीजों के लिए हानिकारक
डॉ. संदीप यादव का दावा है कि अनधिकृत पैथोलॉजी लैब पर सख्ती से रोक लगाया जाए तो उपचार की लागत को तीस फीसदी कम किया जा सकता है। क्वालिफाइड पैथोलाॅजिस्ट का काम टेक्नीशियन नहीं कर सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि नरखेड़ में एक अनधिकृत लैब के ने एक युवक को एचआइवी पॉजिटिव बता दिया था, जिसके बाद युवक ने खुदकुशी कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए अधिकार नहीं होने के बावजूद रिपोर्ट देने वाले टेक्नीशियन को पांच वर्ष की कैद की सजा सुनाई थी। पैथोलॉजी में टेक्नीशियन का कोर्स करने वाले टेस्ट कर सकते है,  लेकिन उन्हें विश्लेषण कर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते। एक और मामले में स्त्रीरोग विशेषज्ञ के अस्पताल में टेक्नीशियन द्वारा पैथोलॉजी लैब चलाए जाने के मामले में टेक्नीशियन और डॉक्टर दोनों को सजा हो चुकी है।

यह है जरूरी
-वर्तमान कानून के अनुसार, पैथोलॉजी में पीजी की डिग्री रखने वाले ही पैथोलॉजी लैब चला सकते हैं।
-डिप्लोमाधारी टेक्नीशियन टेस्ट कर सकते हैं और रीडिंग ले सकते हैं, लेकिन रिपोर्ट का विश्लेषण या हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं।  
-रिपोर्ट पर मरीज की ओर से पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने के लिए भी पैथोलॉजिस्ट का उपस्थित रहना अनिवार्य है। 

स्थानीय निकाय से मांगी जानकारी 
पिछले साल राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन को उनके अधिकार क्षेत्र में काम करने वाली पैथोलॉजी लैब की संपूर्ण जानकारी देने को कहा गया था। इस बारे में अगस्त 2018 में एक बार फिर से संबंधित लोगों को सूचित करने के लिए निर्देश भी जारी किया गया था। इस विषय में आरटीआई दाखिल करने वाले डॉ. प्रसाद कुलकर्णी के अनुसार, अधिकतर महानगरपालिकाएं इस क्षेत्र में जारी अनधिकृत रूप से चल रहे कामकाज पर ध्यान नहीं देती हैं। यहां तक कि बीएमसी के स्वास्थ्य विभाग के पास मुंबई में संचालित पैथलॉजी लैब की जानकारी नहीं है। कुछ मनपा ने जो जानकारी दी है, वह भी आधी अधूरी है।  

एंटी प्रैक्टिस सेल की जिम्मेदारी 
बॉम्बे नर्सिग एक्ट के अनुसार, ओपीडी क्लीनिक के लिए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। डॉक्टर के पास महाराष्ट्र मेडिकल बोर्ड रजिस्ट्रेशन होना काफी होता है। इसी तरह अब तक लैब के लिए भी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है, लेकिन फर्जी डॉक्टर की प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए बनाई गई एंटी प्रैक्टिस सेल की जिम्मेदारी है कि वे पैथोलॉजी लैब के ठीक से काम करने की जांच करें। जिला, तहसील और स्थानीय निकाय स्तर पर इसके लिए कमेटी का गठन किया गया है। कई बार पैथाेलॉजी डॉक्टर के नाम पर चल रहे लैब में डॉक्टर उपस्थित नहीं रहते हैं। नियमों का पालन नहीं करने वाले लैब के खिलाफ एंटी प्रैक्टिस सेल को थाने में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। नागपुर में एनएमसी की ओर से पिछले वर्ष चार पैथोलॉजी लैब के खिलाफ कार्रवाई किया गया था। 

Created On :   18 April 2019 5:20 AM GMT

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